अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जन-जातियों के बारे में पूरी जानकारी

अनुसूचित जाति का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definition of schduled Custes)

अस्पृश्य अथवा अनुसूचित जाति की परिभाषा करना अत्यंत कठिन है। यह वह जाति है जिस पर सवर्ण जातियों द्वारा अनेक सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक एवं राजनैतिक निर्योग्यताएं लादी गई है। ये निर्योग्यताएँ ही अस्पृश्यता का चिह्न हैं। इन्हीं निर्योग्यताओं के आधार पर डॉ. भीमराव अम्बेदकर तथा गांधीजी ने अस्पृश्यता की व्याख्या की है।

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डॉ. घुरिये ने इन जातियों की परिभाषा वैधानिक दृष्टिकोण से करते हुए कहा है,

“अनुसूचित जातियाँ वे समूह हैं जिनका कि नाम एक समय विशेष में लागू अनुसूचित जाति के अंतर्गत आता है। “

डॉ. घुरिये

डॉ. घुरिये ने यह परिभाषा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 341 को ध्यान में रखकर की है जिसमें राष्ट्रपति को यह अधिकार प्राप्त है कि वे राज्य विशेष के प्रमुख रूप से परामर्श करने के उपरांत यह सूचित करें कि किन जातियों को उस राज्य विशेष के संदर्भ में अनुसूचित जाति माना जाय।

डॉ. शर्मा के मतानुसार,

“अस्पृश्य जातियाँ वे जातियाँ हैं जिनके स्पर्श से एक व्यक्ति अपवित्र हो जाये और उसे पवित्र होने के लिए कुछ कृत्य करने पड़ें।”

डॉ. शर्मा

डॉ.शर्मा की परिभाषा समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से अधिक महत्वपूर्ण है। एक जाति की सामूहिक धार्मिक स्थिति धर्म से संबंधित पवित्रता, अपवित्रता की धारणा पर आधारित है। चूंकि अस्पृश्य जाति के सदस्यों का पेशा इस प्रकार का है जिसे अपवित्र माना जाता है और चूंकि इनका संबंध निरंतर इन अपवित्र कार्यों से रहता है इसलिए इन्हें छूना वांछनीय नहीं है। डॉ. शर्मा ने अपनी परिभाषा में इसी मनोभाव को व्यक्त किया है।

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अनुसूचित जनजातियों का अर्थ एवं परिभाषा (Scheduled Tribes-Meaning and Definition)

अनुसूचित जनजातियों से अभिप्राय उन व्यक्तियों से है जो आधुनिक सभ्यता से दूर पर्वतों अथवा जंगलों आदि में निवास करते हैं। इनका अपना एक पृथक रहन सहन धर्म एवं व्यवसाय होता हैं इन व्यक्तियों को अपने परम्परागत निषेधों का पालन भी करना पड़ता है। जनजातियों को आदिम समाज, आदिवासी एवं वन्य जाति आदि नामों से भी जाना जाता है।

सन् 1991 ई. की जनगणना के अनुसार देश में जन जातियों की संख्या 6.45 करोड़ अधिकांश जनजातियाँ हिंदू धर्म की अनुयायी हैं इसीलिए डॉ. घुरिये ने इन्हें पिछड़े हिन्दू की संज्ञा दी है।

जनजाति को परिभाषित करते हुए बोअस ने लिखा है,

“जनजाति से हमारा तात्पर्य आर्थिक रूप से स्वतंत्र सामान्य भाषा बोलने वाले तथा बाहर वालों से अपनी रक्षा के लिए संगठित व्यक्तियों के समूह से है। “

बोअस

गिलिन और गिलिन के अनुसार,

“स्थानीय आर्थिक समूहों के किसी भी संग्रह को जो एक सामान्य क्षेत्र में रहता हो, एक सामान्य भाषा बोलता हो और एक सामान्य संस्कृति का अनुसरण करता हो, एक जनजाति कहते हैं। “

गिलिन और गिलिन

क्रोवर का कथन है,

“आदिम जातियाँ (जनजातियाँ) ऐसे लोगों का समूह है जिनकी अपनी एक सामान्य संस्कृति होती है।”

क्रोवर

डॉ. मजूमदार ने अपनी परिभाषा में जनजातियों को और अधिक स्पष्ट करते हुए कहा है, “जनजाति परिवार या परिवारों के समूह का एक संकलन है जिसका एक सामान्य नाम होता है जिसके सदस्य एक सामान्य भू-भाग पर रहते हैं एवं सामान्य भाषा बोलते हैं जो विवाह, व्यवसाय या पेशें के संबंध में कुछ निषेधों का पालन करते हैं और जिन्होंने एक निश्चित और मूल्यांकित परस्पर आदान-प्रदान की व्यवस्था का विकास किया है।”

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अनुसूचित जनजातियों की विशेषताएँ (Characteristics of Scheduled Tribes)

अनुसूचित जनजातियों की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

(1) सामान्य भू-भाग (Common Territory) – एक जनजाति एक निश्चित भू-भागमें ही निवास करती है अर्थात एक ही जनजाति के लोगों का निवास स्थान सामान्य होता है। भू भाग के सामान्य रहने के कारण उनमें सामुदायिक भावना विकसित रहती है।

(2) सामान्य भाषा (Common Language)- एक ही जनजाति के समस्त व्यक्तियों की भाषा सामान्य होती है परंतु यहाँ मुख्य बात यह है कि उसकी कोई लिपि नही होती है। इनकी भाषा से संबंधित लिखित साहित्य नहीं होता है।

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(3) अन्तर्विवाह (Endogamy)- जनजातियों के अंतर्विवाही प्रथा का प्रचलन है अर्थात एक जनजाति के सदस्य अपनी स्वयं की ही जनजाति में विवाह करते हैं।

(4) राजनीतिक संगठन (Political Organisation) – प्रत्येक जनजाति का अपना स्वयं का राजनीतिक संगठन होता है। अधिकांशतः प्रत्येक जनजाति में एक मुखिया होता है। यह वंशानुगत होता है। जनजाति में नियंत्रण बनाये रखने, झगड़ो का निपटारा करने तथा समस्याओं को सुलझाने का कार्य मुखिया द्वारा ही संपादित होता है। यह मुखिया कोई वयोवृद्ध व्यक्ति ही होता है।

(5) एक नाम (A Name) – प्रत्येक जनजाति का अपना एक विशेष नाम अवश्य होता है। नाम के इसी आधार पर जनजाति के सदस्य परिचय देते हैं।

(6) सामान्य निषेध (Common Taboo ) – प्रत्येक जनजाति में कुछ निषेध होते हैं जिनका पालन सभी सदस्यों के लिए करना अनिवार्य होता हैं सामान्यतः ये निषेध विवाह, परिवार, खानपान, धर्म आदि से संबंधित होते हैं।

(7) सामान्य संस्कृति (Common Culture ) – एक जनजाति के सभी सदस्यों की संस्कृति सामान्य होती है। एक जनजाति के सभी लोग सामान्य मूल्यों, परम्पराओं, धर्म, जादू-टोनों, खान-पान, विचारों आदि में विश्वास करते हैं।

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