असहयोग आंदोलन के कार्यक्रम का वर्णन कीजिए।

खिलाफत के प्रश्न पर 1920 ई0 में कांग्रेस के एक विशेष अधिवेशन में गाँधी ने बहिष्कार और असहयोग की नीति का एलान किया। खिलाफत कमेटी ने 1 अगस्त, 1920 को आन्दोलन प्रारम्भ कर दिया। गाँधी ने कैसरे हिंद’ की उपाधि सरकार को लौटा दिया। दिसम्बर, 1920 के नागपुर कांग्रेस अधिवेशन ने गाँधी के असहयोग आंदोलन के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी। वस्तुतः कांग्रेस के नागपुर अधिवेशन ने राष्ट्रीय स्वातंष्ठय आंदोलन का नेतृत्व महात्मा गाँधी को सौंप दिया। कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज्य प्राप्ति को अपना लक्ष्य बताया। इस अधिवेशन में बहिष्कार और असहयोग की रूपरेखा भी तैयार की गई। डॉ० एम० एस० जैन के अनुसार, असहयोग के दो पक्ष थे-“रचनात्मक एवं विध्वंसात्मक’।

किसान आन्दोलन से आप क्या समझते है? किसान आन्दोलन के लिए कौन से कारक उत्तरदायी है?

पहले वर्ग में स्वदेशी को प्रोत्साहन देने, असहयोग आंदोलन के लिए ‘तिलक कोष’ में एक करोड़ रुपए की राशि एकत्र करने ‘स्वयंसेवकों’ का दल तैयार करने, चरखा एवं कटाई-बुनाई का प्रचार करने, राष्ट्रीय विद्यालय स्थापित करने, हिन्दू-मुस्लिम एकता बढ़ाने, अस्पृश्यता का निवारण करने इत्यादि महत्वपूर्ण कार्यों को रखा गया। विध्वंसात्मक कार्यों में सरकारी उपाधियों एवं पदों का त्याग, स्थानीय संस्थाओं से त्यागपत्र, सरकारी दरबारों, उत्सवों समारोहों का बहिष्कार, सरकारी शिक्षण संस्थाओं एवं अदालतों का बहिष्कार, विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करने एवं मेसोपोटामियां युद्ध में भरती होने से इन्कार करने को कहा गया।

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