केन्द्रीय बैंक से आप क्या समझते है: केन्द्रीय बैंक में विभिन्न कार्यों का वर्णन।

केन्द्रीय बैंक का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definition of Central Bank)– केन्द्रीय बैंक वह बैंक है, जिसकी स्थापना मुद्रा निर्गमन तथा साख पर नियन्त्रण करने के उद्देश्य से की जाती है। प्रमुख अर्थशास्त्रियों द्वारा दी गई परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं –

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बैंक ऑफ इंटरनेशलन सेटिलमेन्टस के अनुसार “केन्द्रीय बैंक किसी देश की वह बैंक है, जिसे वहाँ की चलन तथा साख की मात्रा के नियमन का उत्तरदायित्व सौंपा गया है।”

बैंक ऑफ इंटरनेशलन सेटिलमेन्टस

केन्ट- “केन्द्रीय बैंक एक प्रकार की संस्था है, जिसे सार्वजनिक हित में मुद्रा के प्रसार तथा संकुचन को नियमित करने का उत्तरदायित्व सौंपा गया है।”

केन्ट

वैरास्मिथ- “केन्द्रीय बैंक का अभिप्राय बैंकिंग की उस प्रणाली से है, जिसके अन्तर्गत किसी एक विशेष बैंक को नोट-निर्गमन का पूर्ण अधिकार प्राप्त होता है।”

वैरास्मिथ

केन्द्रीय बैंक के कार्य

  1. पत्र मुदा निर्गमन का कार्य (Issue of Paper Notes) – केन्द्रीय बैंक पत्र मुद्रा के निर्गमन का कार्य करती है। इसके प्रमुख लाभ राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा, पत्र मुद्रा में एकरूपता,जनता का विश्वास, मुद्रा प्रणाली में लोच, सरकार को लाभ की प्राप्ति, आर्थिक स्थायित्व आदि है।
  2. सरकारी बैंकर के रूप में कार्य (Functions as a Government Bankers)- केन्द्रीय बैंक सरकार के लिए बैंकर के रूप में कार्य करती है, जैसे- सरकारी एजेन्ट, सलाहकार इत्यादि। यह बैंक सरकार के बैंकिंग खाते में जमा करती है। डीकोक (Decock) ने इस सम्बन्ध में कहा है कि- “केन्द्रीय बैंक सरकारी बैंकर के रूप में कार्य केवल इसलिए नहीं करती, क्योंकि यह सरकार के लिए सरल तथा मितव्ययी है, वरन् इसलिए भी क्योंकि सार्वजनिक. वित्त तथा मौद्रिक मामलों में घनिष्ठ सम्बन्ध होता है।”
  3. बैंकों का बैंक (Banker’s Bank)- यह बैंको के बैंक के रूप में कार्य करता है। यह देश के समस्त बैंकों के दायित्वों का एक निश्चित भाग नकद कोषों के रूप में अपने पास रखता है और इन्हीं के आधार पर अन्य बैंकों के विनिमय बिलों को भुनाता है तथा इनके अनुपात को घटा-बढ़ाकर साख का नियमन करता है।
  4. अन्तिम ऋणदाता (Lendor of Last Resort)- केन्द्रीय बैंक अन्तिम ऋणदाता के रूप में सभी कार्य करता है। यह साख पत्रों को भुनाता है। यह संकट काल में विशेष सहायता करता है।
  5. विदेशी कोष संरक्षण कार्य (Custodian of Reserves of International Curencies) – केन्द्रीय बैंक अन्य देशों की मुद्राओं तथा वस्तुओं का संग्रह तथा इसका संरक्षण भी करता है। अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष तथा विश्व बैंक आदि के साधनों का वितरण तथा कोषों का निक्षेप भी केन्द्रीय बैंक करता है।
  6. निकासी गृह कार्य (Clearing House Functions) – केन्द्रीय बैंक में एक ऐसी व्यवस्था होती है, जिसमें विभिन्न बैंकों में प्रतिनिधियों की स्वीकृति प्राप्त करके उनके खातों से सम्बन्धित राशियाँ नाम या जमा मे लिख दिया जाता है। इससे पारस्परिक लेन-देन सम्बन्धी कार्य कम हो जाता है। सन् 1944 में बैंक ऑफ इंग्लैण्ड ने समस्त बैंकों के पारस्परिक लेन-देन का समायोजन करने की पद्धति अपनाई। इसके पश्चात् यह पद्धति विश्व में प्रचलित हुई।
  7. अनुसंधान कार्य तथा आंकड़ों का संकलन तथा प्रकाशन (Research and Collection and Publication of Data)- केन्द्रीय बैंक आर्थिक समस्याओं के समाधान के लिए अनुसन्धान करता है। इनके सम्बन्ध मे आँकड़ों का संकलन करता है तथा इसे प्रकाशित करती है। आँकड़ों की सहायता से आर्थिक नीतियों का निर्माण होता है। आर्थिक नियोजन में यह विशेष उपयोगी सिद्ध हुआ है।
  8. साख नियन्त्रण (Credit Control)- केन्द्रीय बैंक की स्थापना साख नियन्त्रण के उद्देश्य से भी की जाती है। साख नियन्त्रण के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं-

कार्ल मार्क्स का रेखीय सिद्धान्त अथवा सामाजिक परिवर्तन का रेखीय सिद्धान्त।

  1. मुद्रा के आन्तरिक मूल्य को स्थायित्व प्रदान करना।
  2. विनियम दरों में स्थायित्व लाना।
  3. आर्थिक स्थिरता लाना।
  4. पूर्ण रोजगार तथा आर्थिक विकास लाना।
  5. व्यापारिक चक्रों पर नियन्त्रण

इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए केन्द्रीय बैंक साख नियन्त्रण करती है, जिसमें वह अनेक रीतियों को अपनाती है। साख नियन्त्रण की प्रमुख विधियाँ निम्नलिखित हैं-

  1. बैंक दर नीति (Bank Rate)
  2. खुले बाजार की क्रियायें (Open Market Operations)
  3. रक्षित कोषों में परिवर्तन (Canges in Reserve Funds)
  4. साख की राशनिंग (Rationing in Credit)
  5. प्रतिभूत ऋणों के अनुपात में परिवर्तन (Changes in Security Loan
  6. प्रत्यक्ष कार्यवाही (Direct Action)
  7. नैतिक दबाव (Moral Prsuasion)
  8. विज्ञापन विधि (Publicity)
  9. उपभोग साख का नियमन (Regulation of Consumer’s Credt)

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नोट –प्रमुख विधियों का विशद वर्णन अगले प्रश्न में किया गया है। बैंक के उपर्युक्त कार्यों से यह पता चलता है कि केन्द्रीय बैंक सभी बैंको का सरताज होता है तथा उनके लिए वह मित्र, दार्शनिक तथा पथ प्रदर्शक का कार्य करता है।

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