जाति का अर्थ-
‘जाति शब्द अंग्रेजी भाषा के ‘Caste’ शब्द का हिन्दी रूपान्तर है तथा ‘Caste’ शब्द पुर्तगाली भाषा के ‘Casta’ से बना है जिसका अर्थ होता है- ‘प्रजाति’ या जन्म भेद ‘Caste’ लॅटिन भाषा के शब्द Castus से निकला है। सर्वप्रथम ‘ग्रेशिया डी ओर्टा’ ने कास्टा (Casta) शब्द का प्रयोग प्रजातीय विभेदों को प्रकट करने के लिए किया था जिसमें आने वाली पीढ़ियाँ अपने पिता का व्यवसाय इसीलिए अपनाती थीं कि उन्हें प्रजातीय लक्षण अपने पिता से प्राप्त हुए थे।
भारतीय समाज में जाति व्यवस्था एक अपूर्व संस्था है। भारत में शायद ही ऐसा कोई समूह है जो इसके प्रभाव से वंचित हो। वैसे जाति व्यवस्था विश्व के सभी स्थानों में विद्यमान है और यह सभी धर्मों के सभी व्यक्तियों को प्रभावित करती है, परन्तु जाति व्यवस्था का सही रूप भारतवर्ष में ही देखने को मिलता है।
जनजातियों में महिलाओं की प्रस्थिति में परिवर्तन के लिये उत्तरदायी कारणों का वर्णन कीजिये।
जातिको विशेषतायें :-
इसको प्रमुख विशेषतायें निम्न है:
- एक जाति के सदस्य जाति के बाहर विवाह नहीं कर सकते।
- प्रत्येक जाति में दूसरी जातियों के साथ खान-पान के संबंध में कुछ प्रतिबंध होते हैं।
- अधिकांश जातियों के ऐसे निश्चित होते हैं।
- जातियों में ऊँच-नीच का एक संस्तरण होता है जिसमें ब्राह्मणों को स्थिति सर्वमान्य रूप से शिखर पर है।
- व्यक्ति की जाति जन्म के आधार पर ही आजोवन के लिए निश्चित होती है। केवल जाति के नियमों को तोड़ने पर ही उसे जाति से बहिष्कृत किया जा सकता है, अन्यथा एक जाति से दूसरी जाति की सदस्यता ग्रहण करना सम्भव नहीं है।
- सम्पूर्ण जाति व्यवस्था ब्राह्मणों की श्रेष्ठता पर आधारित है।