लोकशाला पर विस्तृत लेख लिखिए।

लोकशाला (Lokashala)

लोकशाला का आरम्भ मार्च, 1995 में ‘भारत जन विज्ञान जत्था द्वारा हुआ था। यह ऐसा ‘अखिल भारतीय जन विज्ञान नेटवर्क’ (All India Human Science Network) है जिसे दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग से शैक्षिक समर्थ प्राप्त है। इसे सरकारी स्कूल प्रणाली (Government School System) में ‘सामाजिक हस्तक्षेप की राष्ट्र व्यापी प्रक्रिया (All India Social Intervention) के रूप में परिकल्पित किया गया है। आज यह विभिन्न राज्यों के दस प्रखण्ड स्तर (Block level) की ‘एडवान्स्ड फील्ड लेबोरेटरीज (Advanced Field Laboratories) में कार्यरत है। हर प्रखण्ड भू-सांस्कृतिक (Geo-cultural) दृष्टि से अनूठा है। प्रत्येक प्रयोगशाला सामाजिक हस्तक्षेप (Social Intervention) की दृष्टि से एक विकास प्रखण्ड (Block Development) के सब स्कूलों को शिक्षा प्रणाली के उपांग (Organs) की तरह देखती है।

लोकशाला की प्रक्रिया का आधार पिछली शताब्दी में देश में किए गए स्वदेशी प्रयोग हैं, तथा लोकशाला दृष्टिकोण के मूलभूत सिद्धान्त (Basic Principles) निम्न प्रकार हैं

  1. आस-पास के स्कूलों (Nearest schools) पर आधारित एक सामान्य स्कूल प्रणाली ।
  2. स्थानीय जनता का नियमित हस्तक्षेप हो, जो निर्णय लेने की प्रक्रिया में उनकी सक्रिय भागीदारी को सुनिश्चित करे।।
  3. सरकारी स्कूल प्रणाली में परिवर्तन लाने के लिए ‘राष्ट्र व्यापी सामाजिक हस्तक्षेप का आरम्भ समाज के उन वर्गों से होना चाहिए, जिनके बच्चे या तो स्कूल नहीं जाते या कम उम्र में ही स्कूल जाना छोड़ देते हैं।
  4. ऐसे समुदाय की महिलाएँ इस सामाजिक हस्तक्षेप में पहल करेंगी और उसका नेतृत्व भी करेंगी।
  5. संगत पाठयक्रम के पुनर्निर्माण में समुदाय सहयोग करेगा।
  6. ज्ञान की दुनिया (a world of knowledge) निश्चित रूप से काम की दुनिया (A world of work) से जुड़ी होनी चाहिए।
  7. शिक्षा समाज का ही उपांग है, कोई स्वतन्त्र चीज नहीं है। इसलिए सभी बच्चों के लिए अच्छे स्तर की शिक्षा सुलभ बनाने का संघर्ष अनिवार्य रूप से, उस लड़ाई से जुड़ा है जो वंचना (Deprivation ), कुपोषण (Mal-nutrition) तथा अस्वास्थ्यकर स्थितियों (Unhealthy Conditions) को समाप्त करने के लिए लड़ी जा रही है। अगर निरन्तर असमानता की स्थिति गरीबी और शोषण जैसे मूलभूत सामाजिक प्रश्नों की उपेक्षा की जाती है तो इसका सीधा दुष्प्रभाव उन जन-आकांक्षाओं पर पड़ेगा जो शान्तिपूर्ण न्यायोचित और मानवीय समाज के निर्माण का स्वप्न देखते हैं।

लोकशाला पहल कदमी (Loka Shala Initiative) के कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं, प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमिकरण की एक वैकल्पिक राह की ओर संकेत करते हैं, जैसे कि,

हिन्दू स्त्रियों की निम्न स्थिति के कारणों को स्पष्ट कीजिए।

  1. जिला जहानाबाद, बिहार के 6 गाँवों के सैकड़ों लोगों ने सन् 1977 में ‘लोक संसद का आयोजन ‘प्राथमिक शिक्षा में सुधार की दृष्टि से किया था। महिलाओं की भागीदारी पर विशेष बल दिया गया।
  2. दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके के झोपड़पट्टी के 275 निवासियों ने अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में प्रवेश दिलाने के लिए दाखिला उत्सव’ मनाया।
  3. देवीटोला प्रखण्ड जिला घुबड़ी, आसाम में 11 पंचायतों के ग्रामीण युवकों ने स्कूल पाठ्यक्रम में समुदाय / बिरादारी के हस्तक्षेप की दृष्टि से, अपने गाँवों के इतिहास का दस्तावेज तैयार किया था।
  4. बाल्मीकि पत्थर, जिला करद, महाराष्ट्र के सरकारी स्कूलों में स्थानीय समुदाय व कृषक भी शिक्षण की प्रक्रिया में भाग लेते रहे हैं।
  5. भारत के विभिन्न विश्वविद्यालयों के अध्यापक ‘विश्वविद्यालय अनुदान आयोग’ के फैलोशिप के अन्तर्गत ऐसी ‘सामुदायिक पहलकदमी (Community Initiatives) से जुड़े अनेक व्यापक मुद्दों पर शोध कर रहे हैं।

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