आज के इस आर्टिकल में हम आप अभी को व्यापर चक्र की विशेषता के बारे में सम्पूर्ण जानकारी इस आर्टिकल के माध्यम से शेयर कर रहे हैं। व्यापार चक्र की कुछ निम्नलिखित विशेषताएं हैं जो हम नीचे आप सभी के साथ शेयर कर रहे हैं।
सीमांत उपभोग प्रवृत्ति (MPC) क्या है ।
सभी व्यवसायों पर प्रभाव (Effet on all Business) –
व्यापार चक्र का प्रभाव प्रायः सभी उद्योगों पर एक साथ पड़ता है। यदि तेजी का दौर प्रारम्भ होता है तो सभी व्यवसायों में तेजी की लहर दिखती है और जब मन्दी आती है तो सभी उद्योग इसकी चपेट में आ जाते हैं। इसके दो कारण हैं- प्रथम, बहुत-से व्यवसाय एक-दूसरे से जुड़े रहते हैं और एक की उन्नति होने पर दूसरे उद्योग के कच्चे अथवा अर्द्धनिर्मित माल की माँग बढ़ती है। दूसरे, एक व्यवसाय में मन्दी आने पर, दूसरों पर भी इसका मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ता है और वहाँ भी अनुमानित मन्दी की व्यवस्था देखने को मिलती है।
निरपेक्ष आय परिकल्पना Absolute Income Hypothesis
नियमितता (Regulation)-
एक व्यापार चक्र की अवधि प्रायः 7 से 10 वर्ष तक चलती है तथा इस अवधि के बाद दूसरा चक्र आरम्भ हो जाता है। विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं में तेजी और मन्दी का दौर देखने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुँचा जा सकता है कि दस वर्षों के अन्तराल से मन्दी और तेजी की अवस्थाएँ आती रही हैं।
अन्तर्राष्ट्रीय प्रभाव ( International Effect)-
एक देश से प्रारम्भ होकर व्यापार चक्रों का प्रभाव अन्य देशों में फैल जाता है। इसका कारण बहुत स्पष्ट है। विदेशी व्यापार तथा विदेशी विनिमय के माध्यम से प्रायः सभी महत्वपूर्ण देशों की आवश्यकताएँ एक-दूसरे से इतनी जुड़ गयी है कि एक में व्याप्त मन्दी अथवा तेजी का प्रभाव दूसरे पर पड़ना सर्वथा स्वाभाविक है।
गरीबी क्या है? गरीबी के कारण What is poverty? Reasons of poverty
असमान प्रभाव (Unequal Effect)-
उपर्युक्त दो कथनों से यह तो स्पष्ट है कि व्यापार चक्र सार्वभौमिक एवं सब व्यवसायों पर प्रभाव डालने वाले होते हैं, परन्तु इसका तात्पर्य यह कदापि नहीं है कि सभी उद्योगों पर व्यापार पत्रों का प्रभाव अत्यधिक व्यापक पड़ता है, जबकि उपभोक्ता वस्तु निर्माताओं पर यह प्रभाव अपेक्षाकृत कम होता है।