शिक्षा के जीविकोपार्जन अथवा व्यवसायिक उद्देश्य (Bread and Butter Aim of Education )-
जीवन-निर्वाह के लिए धन की आवश्यकता होती है और बिना शिक्षा के धन कमाना प्रायः असम्भव है। इसलिए शिक्षा का उद्देश्य जीविकोपार्जन माना गया है। इसे ‘रोटी और मक्खन का उद्देश्य भी कभी-कभी कह दिया जाता है। आंशिक रूप से शिक्षा का यह उद्देश्य उचित है; किन्तु बात आत्मनिर्भरता की भावना के विकास की है जो व्यक्ति में शिक्षा द्वारा आती है। अतः जीविकोपार्जन का उद्देश्य अथवा व्यावसायिक उद्देश्य दोषमुक्त शैक्षिक उद्देश्य नहीं है।
इस संसार में बहुत से ऐसे व्यक्ति हैं जिनके लिए भोजन ही सब कुछ नहीं है। कुछ लोग आत्मा की तुष्टि को शरीर की तुष्टि से भिन्न मानकर आत्मा की तुष्टि पर ही अधिक बल देते हैं। इसलिए उनकी दृष्टि में शिक्षा का एकमात्र उद्देश्य जीविकोपार्जन नहीं हो सकता।