शिक्षा नीति सम्बन्धी सरकारी प्रस्ताव – सन् 1911 में प्रस्तुत गोखले विधेयक ने भारतीय शिक्षा में नवीन क्रान्ति पैदा कर दी थी। इससे देश में शिक्षा की माँग दिन पर दिन बढ़ती जा रही थी। इस माँग पर ध्यान देते हुए 21 जनवरी, 1913 ई० को भारत सरकार ने अपनी नवीन शिक्षा नीति सम्बन्धी प्रस्ताव प्रकाशित किया। इसमें शिक्षा के आधारभूत सिद्धान्तों को निर्धारित करने के बाद शिक्षा के विभिन्न पहलुओं में सुधार करने के लिए कुछ सिफारिशें प्रस्तुत की गई।
शिक्षा के आधारभूत सिद्धान्त
- ‘प्रस्ताव’ ने भारतीय शिक्षा के लिए निम्नलिखित आधारभूत सिद्धान्त निश्चित किये
- शिक्षा संस्थाओं की संख्यात्मक वृद्धि करने की अपेक्षा उनके शिक्षा-स्तर को ऊंचा उठाया जाना चाहिए।
- प्राथमिक तथा माध्यमिक शिक्षा के पाठ्यक्रमों को व्यावहारिक तथा जीवनोपयोगी बनाया गया।
- भारत में उच्च शिक्षा एवं अनुसंधान का प्रबन्ध किया जाए तथा प्रयास किया जाए कि इनके लिए विद्यार्थियों को विदेश न जाना पड़े।
प्राथमिक शिक्षा सम्बन्धी सिफारिशें
प्रस्ताव द्वारा प्राथमिक शिक्षा के विषय में निम्नलिखित सुझाव दिये गये
- पूर्व माध्यमिक (Lower Primary) विद्यालयों का अधिकाधिक विस्तार किया जाये।
- उत्तर- प्राथमिक (Upper Primary) – उपयुक्त स्थानों पर विद्यालय स्थापित किये जायें सुविधानुसार पूर्व प्राथमिक विद्यालयों को उच्च प्राथमिक स्कूलों में परिवर्तित किया जाये।
- जिला परिषदों तथा स्थानीय संस्थाओं द्वारा अधिक संख्या में विद्यालय स्थापित किये जायें।
- प्राथमिक विद्यालय के अध्यापकों के लिए प्रशिक्षण का समुचित प्रबन्ध किया जाये।
- नगरों तथा ग्रामीण स्कूलों के पाठ्यक्रम जहाँ तक सम्भव हो स्थानीय परिस्थितियों से सम्बन्धित हों।
माध्यमिक शिक्षा सम्बन्धी सिफारिशें
- राजकीय स्कूलों की संख्या में वृद्धि न कर उन्हें आदर्श बनाने का प्रयास हो।
- गैर-सरकारी स्कूलों को उदारतापूर्वक सहायता अनुदान द्वारा प्रोत्साहन प्रदान किया जाये।
- हाईस्कूल कक्षाओं के पाठ्यक्रम में इस प्रकार सुधार किये जायें कि जिससे वे अपने आप में एक इकाई बन जायें।
- हाईस्कूल के पाठ्यक्रम में मैनुअल ट्रेनिंग तथा विज्ञान की शिक्षा प्रदान की जाये और उनके स्वास्थ्य निरीक्षण का प्रबन्ध किया जाये।
- राजकीय स्कूलों में केवल प्रशिक्षित अध्यापक रखे जायें।
- माध्यमिक विद्यालयों के लिए स्कूल फाइनल परीक्षा का प्रबन्ध संस्था द्वारा किया जाये।
उच्च शिक्षा सम्बन्धी सिफारिशें
- भारत में अभी की समय तक परीक्षक विश्वविद्यालयों की आवश्यकता रहेगी। फिर भी उनका प्रादेशिक सीमाओं को निश्चित कर देना आवश्यक है।
- विश्वविद्यालयों की संख्या में वृद्धि करके प्रत्येक प्रान्त में एक विश्वविद्यालय स्थापित किया जाये।
- विश्वविद्यालयों के कार्यभार में वृद्धि के कारण उन्हें हाईस्कूल की मान्यता प्रदान करने के कार्य से मुक्त कर दिया जाये।
- ऐसे विश्वविद्यालयों की स्थापना पर बल दिया जाये जो शिक्षण कार्य करना चाहते हैं।
- विश्वविद्यालयों में पुस्तकालयों, प्रयोगशालाओं एवं छात्रावासों के प्रबन्ध की ओर ध्यान दिया जाये।
स्त्री-शिक्षा सम्बन्धी सिफारिशें
- बालिकाओं की आवश्यकता के अनुसार उनके पाठ्यक्रम का निर्माण किया जाये।
- बालिकाओं को ऐसी व्यावहारिक शिक्षा दी जाये जिससे वे आगे चलकर सुगृहिणियों बन सकें।
- बालिकाओं की शिक्षा में परीक्षाओं को कम महत्व दिया जाये।
- स्त्री-शिक्षा की उन्नति के लिए महिला अध्यापिकाओं एवं महिला निरीक्षिकाओं को पर्याप्त मात्रा में नियुक्त किया जाये।
शैक्षिक निर्देशन की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए ।
निष्कर्ष प्राथमिक निःशुल्क तथा आवश्यक शिक्षा के क्षेत्र में गोखले विधेयक का महत्वपूर्ण स्थान है। यद्यपि इसे सफलता नहीं मिली, परन्तु इसके प्रयास व्यर्थ नहीं गये। उनकी प्रेरणा से जनता, केन्द्रीय सरकार, प्रान्तीय सरकारें तथा स्थानीय संस्थाएँ प्राथमिक शिक्षा के प्रसार में योग दें।
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