अध्ययन क्षेत्र का तात्पर्य एक ऐसी सम्भावित सीमा से होता है जिसके अन्तर्गत ही किसी ज्ञान को विकसित किया जाता है। यद्यपि सभी विद्वान यह मानते हैं कि समाजशास्त्र सामाजिक सम्बन्धों का अध्ययन है, लेकिन समाजशास्त्र में किसी प्रकार के सामाजिक सम्बन्धों का अध्ययन होना चाहिए, इसी प्रश्न को लेकर समाजशास्त्र के अध्ययन क्षेत्र के बारे में विद्वानों का मतभेद रहा है। इस विवाद ने दो सम्प्रदायों को जन्म दिया है। पहले को हम स्वरूपात्मक अथवा विशेषात्मक सम्प्रदाय (Formal School) कहते हैं। इसके अनुसार समाजशास्त्र एक विशेष सामाजिक विज्ञान है। दूसरा सम्प्रदाय समाजशास्त्र के अध्ययन क्षेत्र को व्यापक बनाने के पक्ष में हैं। इसे हम समन्वयात्मक अथवा सामान्य सम्प्रदाय (Synthetic School) कहते हैं। इसके अनुसार, समाजशास्त्र सामान्य विज्ञान है जिसमें सभी प्रकार के सामाजिक सम्बन्धों का अध्ययन किया जाना चाहिए। इन दोनों सम्प्रदायों के दृष्टिकोण को समझने से समाजशास्त्र के अध्ययन क्षेत्र को सरलतापूर्वक समझा जा सकता है।
सामाजिक समस्याओं के प्रकारों की विवेचना। तथा भारतीय समाज की प्रमुख सामाजिक समस्यायें।