समावर्तन संस्कार’ का वर्णन – ब्रह्मचर्य आश्रम को आयु समाप्त होने पर तथा शिक्षा काल पूरा होने पर समावर्तन संस्कार होता था। समावर्तन का अर्थ होता है पर लौटना अर्थात् बालक शिक्षा को पूरा करके अपने घर वापस शि गृहस्थ जीवन व्यतीत करने के लिए आता था। संस्कार के समय छात्र स्नान करके नये वस्त्र पहनकर सभा स्थल में उपस्थित होता था जहाँ इस संस्कार का आयोजन किया जाता था। आजकल के दीक्षान्त समारोह की भाँति गुरुद्वारा छात्रों को जीवन में सफल होने, समाज की सेवा करने तथा धर्मनिष्ठ जीवन व्यतीत करने के लिए उपदेश दिये जाते थे जैसे “सत्यंवद, धर्मचर, स्वाध्यायनाम प्रमदतव्यम्, “मातृ देवोभव, पितृ देवोभव, आचार्य देवोभव’ आदि।
भारत में आधुनिक समाजशास्त्र के प्रादुर्भाव की विवेचना कीजिए।