आर्थिक संस्था का अर्थ – संस्था का तात्पर्य कुछ नियमों अथवा समाज द्वारा मान्यता प्राप्त कार्य-प्रणालियों से होता है। इसका तात्पर्य यह है कि जिन नियमों के द्वारा आर्थिक क्रियाओं को नियमित किया जाता है, उन्हें हम आर्थिक संस्था कहते हैं। किसी समाज के लोग यदि संघर्ष, धोखे और दबाव से आर्थिक क्रियाएं करके विभिन्न लाभ प्राप्त करने लगें तो इससे सम्पूर्ण आर्थिक और सामाजिक संगठन टूट सकता है। इस प्रकार आर्थिक क्रियाओं और अधिकारों को नियमबद्ध करने वाले नियमों और कार्यविधियों को ही हम आर्थिक संस्था कहते हैं।
डेविस के शब्दों में, “किसी भी समाज में, चाहे वह सभ्य हो या असभ्य, सीमित वस्तुओं के वितरण को नियंत्रित करने वाले आदर्श नियमों, अधिकारों तथा विचारों को ही आर्थिक संस्था कहा जाता है।”
द्वितीयक समूह से आप क्या समझते हैं? इनकी विशेषताओं, महत्व एवं कार्यो का उल्लेख कीजिए।
जोन्स (Jones) का कथन है, “आर्थिक संस्थाओं का तात्पर्य उन विभिन्न विधियों, विचारों तथा प्रथाओं की समग्रता से है जो जीवन-निर्वाह की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भौतिक पर्यावरण के उपयोग से सम्बन्धित होती है।”
सम्पत्ति, श्रम विभाजन, संविदा, बाजार, उत्पादन तथा विनिमय प्रणाली, प्रतियोगिता एवं व्यवसाय आदि कुछ प्रमुख आर्थिक संस्थाएं हैं।