अभौतिक संस्कृति को परिभाषित कीजिए।

अभौतिक संस्कृति- आर. एम. मैकाइवर सहित अनेक समाजशास्त्रियों ने संस्कृति के अन्तर्गत केवल अभौतिक तत्वों को हो सम्मिलित किया है। पिट्रिम सोरोकिन ने अभौतिक संस्कृति को “भावात्मक संस्कृति’ की संज्ञा दी है, जिसके अन्तर्गत वे सभी सामाजिक तथ्य सम्मिलित है, जिनका कोई रंग-रूप, माप-तौल और आकार नहीं होता है, जो अमूर्त होते हैं तथा जिन्हें केवल महसूस हो किया जा सकता है। राबर्ट बीरस्टीड ने अभौतिक संस्कृति में विचारों और सामाजिक मानदंडों को भी सम्मिलित किया है। अभौतिक संस्कृति में सामान्यतः सामाजिक विरासत में प्राप्त होने वाले विचार, व्यवहार, प्रथा, रीति-रिवाज, परम्परा, कला, भाषा, साहित्य, विश्वास, नैतिकता, क्षमतायें, मनोवृत्तियाँ, कानून, ज्ञान आदि को रखा जाता है। अभौतिक संस्कृति समाजीकरण और सीखने की प्रक्रिया के द्वारा मानव समाज में पीढ़ी-दर-पीढ़ी निरन्तर हस्तान्तरित होती रहती है।

संस्कृति की विशेषता लिखिए।

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