अमेरिका राष्ट्रपति के अधिकार एवं कार्यों का वर्णन कीजिये ।

अमेरिका राष्ट्रपति के अधिकार – राष्ट्रपति की शक्तियों के सम्बन्ध में संविधान निर्माताओं में मतभेद था। एक पक्ष राष्ट्रपति को अत्यधिक शक्तिशाली बनाना चाहता था- बिल्कुल एक सम्राट की तरह और दूसरा पक्ष चाहता था कि राष्ट्रपति को कम से कम शक्तियाँ दी जाये। संविधान सभा में राष्ट्रपति की शक्तियों पर परस्पर विवाद के परिणामस्वरूप अन्त में मध्यमार्गियों की विजय हुई और राष्ट्रपति को एक अर्द्ध सम्राट का रूप दिया गया। राष्ट्रपति को निम्नलिखित शक्तियाँ प्राप्त हैं

(1 ) कार्यपालिका सम्बन्धी शक्तियाँ

संविधान के अनुच्छेद 2 में एक ही वाक्य है कि कार्यपालिका सम्बन्धी शक्तियों का वास अमेरिका के राष्ट्रपति में होगा राष्ट्रपति की बहुत सी शक्तियाँ प्रदान कर देता है। इस वाक्य का थोड़ा सा विस्तार इसी अनुच्छेद के दूसरे और तीसरे भाग में किया गया है, जिसके अनुसार राष्ट्रपति ही सर्वोच्च कार्यपालिका है। अपनी कार्यपालिका शक्तियों के अन्तर्गत राष्ट्रपति निम्नलिखित कार्य करता है

1. शासन व्यवस्था बनाये रखना तथा कानूनों को लागू करना-

राष्ट्रपति देश में प्रशासन का सर्वोच्च अधिकारी है। विलोबी के अनुसार, सरकार के प्रशासन तन्त्र में उसकी स्थिति वही है, जो एक निजी प्रशासनिक संस्थान में ‘जनरल मैनेजर की होती है। प्रशासन का सम्पूर्ण उत्तरदायित्व उसी पर है। इस दायित्व के निर्वाह के लिए वह विभिन्न विभागों के अध्यक्ष के रूप में मन्त्रियों की नियुक्तियाँ करता है तथा उन मन्त्रियों एवं उसके विभागों के माध्यम से शासन का संचालन करता है।

2. नियुक्ति और पदच्युति सम्बन्धी शक्तियाँ-

प्रशासन पर राष्ट्रपति के नियन्त्रण का सबसे बड़ा शस्त्र विभिन्न पदों पर नियुक्तियाँ करने का अधिकार है। हैमिल्टन मानता है कि “विभिन्न पदों पर नियुक्तियाँ करने की शक्ति से राष्ट्रपति का महत्व बढ़ेगा।”

सैद्धान्तिक रूप में राज्य के सभी उच्च प्रशासनिक अधिकारियों की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है। इन अधिकारियों में मुख्य रूप से सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश सेना के विभिन्न अंगों के अध्यक्ष, मन्त्री, विभिन्न देशों के लिए राजदूत तथा श्रेष्ठ प्रशासनिक अधिकारी प्रमुख है। इन सबकी नियुक्ति राष्ट्रपति करता है, परन्तु इसके लिए सीनेट की स्वीकृति आवश्यक है। राष्ट्रपति जब भी किसी पद पर किसी व्यक्ति की नियुक्ति करता है, वह नियुक्ति तब तक वैध नहीं मानी जाती जब तक सीनेट दो-तिहाई बहुमत से उसकी पुष्टि न कर दे।

3. सैनिक शक्तियाँ

संविधान के अनुसार राष्ट्रपति अमेरिका की जल यल और वायु- तीनों का सर्वोच्च अधिकारी है। सेना सम्बन्धी महत्त्वपूर्ण निर्णय और उनका क्रियान्वयन अन्ततः राष्ट्रपति ही करता है। यद्यपि युद्ध की घोषणा राष्ट्रपति, सीनेट की स्वीकृति से ही करता। है तथापि वह ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न कर सकता है कि सीनेट उसके प्रस्तावों को तुरन्त स्वीकार कर ले और कई बार तो वह सीनेट की स्वीकृति के बिना ही बहुत बड़े सैनिक अभियान प्रारम्भ देता है। 1962 में राष्ट्रपति कैनेडी ने बिना सीनेट की अनुमति के क्यूबा की घेराबन्दी की थी। अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में अमेरिका की बढ़ती हुई भूमिका के कारण राष्ट्रपति की सैनिक शक्तियाँ बहुत बढ़ गयी है। वियतनाम में अमेरिकी सैनिक कार्यवाही केवल राष्ट्रपति जानसन का ही निर्णय थी। 16 अगस्त 1990 को राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने इराक की पूर्ण नाकबन्दी का आदेश दिया। राष्ट्रपति की सैनिक शक्ति के सम्बन्ध में यह भी उल्लेखनीय है कि सिद्धान्ततः ही युद्ध की घोषणा के लिए राष्ट्रपति को सीनेट की अनुमति लेना आवश्यक है, परन्तु युद्ध के संचालन, युद्ध की समाप्ति और शान्ति की घोषणा केवल राष्ट्रपति के द्वारा ही होती है।

4. मन्त्रिमण्डल का नेतृत्व

अपनी कार्यपालिका सम्बन्धी शक्तियों के सम्पादन के लिए राष्ट्रपति मन्त्रिमण्डल का निर्माण करता है। वह मन्त्रिमण्डल का सर्वेसर्वा है। वह जिस व्यक्ति को चाहे मन्त्री बना सकता है, जिसको जब चाहे मन्त्री पद से हटा भी सकता है। यहाँ यह स्मरण रखना होगा कि ब्रिटिश और अमेरिकी मन्त्रिमण्डल की स्थिति में बहुत अन्तर है। ब्रिटेन में मन्त्रिमण्डल के उत्थान-पतन के साथ-साथ प्रधानमन्त्री का उत्थान-पतन से भी सम्बन्ध है, परन्तु अमेरिका के मन्त्री राष्ट्रपति के सेवक है। राष्ट्रपति मन्दियों का साथी नहीं उनका स्वामी है। सभी विभागों के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण नीति का निर्धारण करना उसी का काम है।

कानून सम्बन्धी अरस्तू के विचारों की व्याख्या कीजिए।

(2) विधि निर्माण सम्बन्धी शक्तियाँ

अमेरिका में शक्ति पृथक्करण का सिद्धान्त प्रयुक्त है और इस सिद्धान्त के अनुसार विधि निर्माण सम्बन्धी शक्तियों का दायित्व संसद अर्थात् कांग्रेस को सौंपा गया है। किन्तु यहाँ शक्ति पृथक्करण के साथ-साथ नियन्त्रण और सन्तुलन का सिद्धान्त भी है, इसलिए संविधान ने राष्ट्रपति को विधि निर्माण के सम्बन्ध में शक्तियाँ प्रदान की है। राष्ट्रपति की विधि निर्माण सम्बन्धी शक्तियों को दो भागों में बाँटा जा सकता है- (1) निषेधात्मक (2) भावात्मक।

(3) वित्तीय शक्तियाँ

संविधान ने वित्तीय शक्तियों के सम्बन्ध में कांग्रेस को सत्ता सम्पन्न बनाया था, परन्तु अब व्यवहार में राष्ट्रपति ही अधिक शक्तिशाली बन गया है। आय-व्यय का वार्षिक बजट राष्ट्रपति के निर्देशन में ब्यूरो ऑफ बजट द्वारा तैयार किया जाता है। यही बजट को पहले प्रतिनिधि सभा में प्रस्तुत करता है, फिर सीनेट में परन्तु कांग्रेस के दोनों सदनों के द्वारा बजट को यथावत् स्वीकार करना आवश्यक नहीं है। कांग्रेस उसमें कटौती कर सकती है।

(4) न्यायिक शक्तियाँ

राष्ट्रपति को न्यायिक शक्तियाँ भी प्राप्त है, उन व्यक्तियों को छोड़कर जिन्हें महाभियोग लगाकर दण्डित किया गया है, राष्ट्रपति किसी भी अपराधी को जिसे न्यायालय ने दण्डित किया है, क्षमादान दे सकता है। इस शक्ति के अनुसार राष्ट्रपति किसी व्यक्ति को पूर्णतया क्षमा कर सकता है उसका दण्ड कम कर सकता है अथवा उसके दण्ड को स्थागित कर सकता है। इस सम्बन्ध में राष्ट्रपति की शक्तियाँ पूर्णतया वास्तविक है।

भारत में मूल अधिकार एवं नीति निदेशक तत्वों के मध्य सम्बन्ध तथा अन्तर की विवेचना कीजिए।

(5) विदेश नीति सम्बन्धी नीतियाँ

संविधान के अनुसार राष्ट्रपति विदेशी नीति का प्रमुख प्रवक्ता है। यथार्थ में वह विदेश नीति का निर्माता, विदेश नीति का प्रवक्ता और विदेश नीति का संचालनकर्ता है। इस अधिकार के उपयोग के लिए राष्ट्रपति को कांग्रेस के अधिनियम की आवश्यकता नहीं है।

(6) दल और देश के सर्वोच्च नेता के रूप में शक्तियाँ

अमेरिका का पति अपने दल का नेता भी है और पूरे देश का नेता भी दल के नेता के रूप में वह अपने दल के सदस्यों के माध्यम से कांग्रेस पर अधिकार जमाता है और क्योंकि वह सम्पूर्ण देश का नेता है, इसलिए उसके पीछे देश के बहुमत की शक्ति है और इन दो शक्तियों के बल पर वह अत्यधिक महत्वपूर्ण शासक बन जाता है।

    Leave a Comment

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    Scroll to Top