अमेरिकी कैबिनेट के गठन – अमेरिका में सम्पूर्ण शासन तन्त्र संविधान के अनुसार ही बना और उसी के अनुसार चलता है। अमेरिका संविधान में समस्त कार्यपालिका शक्तियाँ राष्ट्रपति को दी गयी है। उसमें मन्त्रिमण्डल के विषय में एक भी शब्द नहीं है, फिर भी अमेरिका में एक निश्चित मन्त्रिमण्डल और वह महत्वपूर्ण प्रशासनिक कार्य करता है। वह मन्त्रिमण्डल परम्परा पर आधारित है। अमेरिका मन्त्रिमण्डल का आधार संविधान के ये शब्द हैं, “राष्ट्रपति सरकार के विविध प्रशासकीय विभागों के प्रधान पदाधिकारियों से उन विषयों पर लिखित रूप से परामर्श ले सकता है, जिनका उन विभागों के साथ सम्बन्ध है।”
मन्त्रिमण्डल का निर्माण
अमेरिका में मन्त्रिमण्डल का निर्माण, ब्रिटिश मन्त्रिमण्डल के निर्माण की अपेक्षा सरल है क्योंकि वहाँ के वरिष्ठ नेता को मन्त्रिमण्डल में न लेने पर राष्ट्रपति को कोई खतरा नहीं है। अतः राष्ट्रपति मन्त्रिमण्डल के निर्माण में सामान्यतः मुक्त है। वह मन्त्रिमण्डल के सदस्यों को मनोनीत करता है।
मन्त्रिमण्डल में वे ही व्यक्ति लिये जाते हैं जो कांग्रेस के सदस्य न हो। यदि कोई व्यक्ति कांग्रेस का सदस्य है और राष्ट्रपति उसे मन्त्री बनाना चाहता है, तो पहले उस व्यक्ति को कांग्रेस की सदस्यता से त्यागपत्र देना होगा तभी वह मन्त्री बन सकता है। इसका कारण शक्ति पृथक्करण का सिद्धान्त है।
सामान्यतः राष्ट्रपति अपने ही दल के सदस्यों में से ही मन्त्री नियुक्त करता है। विरोधी दल का समर्थन प्राप्त करने के लिए भी उसके किसी सदस्य को मन्त्री बनाया जा सकता है। राष्ट्रपति निक्सन ने विरोधी दल डेमोक्रेटिक पार्टी के जॉन कोनाली को मन्त्रिमण्डल में स्थान दिया था।
मन्त्रिमण्डल के सदस्यों की नियुक्ति के सम्बन्ध में संविधान यह भी कहता है कि राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किये गये विभागाध्यक्ष के लिए सीनेट की स्वीकृति आवश्यक है। सामान्यतः सीनेट राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किये गये विभागाध्यक्षों की नियुक्ति पर अपनी स्वीकृति प्रदान कर ही देता है।
मन्त्रिमण्डल और राष्ट्रपति
अमेरिका में मन्त्रिमण्डल को उपहास के रूप में ‘छाया मन्त्रिमण्डल’ अथवा रसोईघर मन्त्रिमण्डल भी कहते है। उसे राष्ट्रपति का परिवार भी कहा जाता है। रिचर्ड फरनो ने कहा है कि अमेरिका का मन्त्रिमण्डल किसी सामन्ती दरबार के दरबारियों के समान है जहाँ राष्ट्रपति सत्ता के पिरामिड पर बैठा है। यह नितान्त सत्य है। ऑग ने कहा है- “मन्त्रिमण्डल के मन्त्री को यह समझ लेना चाहिए कि वह राष्ट्रपति की छत्रछाया में ही जीवित रह सकता है।” मन्त्रिमण्डल के सदस्य राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किये जाते हैं। वे राष्ट्रपति की इच्छा तक ही मन्त्री बने रह सकते हैं। उन्हें हटाने पर कोई तूफान खड़ा नहीं हो सकता, राष्ट्रपति का सिहांसन नहीं डोलता है।
यदि कभी मन्त्रिमण्डल की बैठक होती भी है और राष्ट्रपति उनसे परामर्श माँगता भी राष्ट्रपति उनके परामर्श से बाध्य नहीं है। लास्की ने बताया- “राष्ट्रपति लिंकन द्वारा समर्पित एक प्रस्ताव का जब उसके सातों मन्त्रियों ने विरोध किया तो उसने कहा या सात ना और एक है तो हाँ जीत हो की ही होगी।
यही लेखक आगे लिखते हैं- ‘राष्ट्रपति की केबिनेट कोई मिनिस्ट्री नहीं है। प्रशासन का उत्तरदायित्व राष्ट्रपति और केवल राष्ट्रपति का है और मन्त्रिमण्डल राष्ट्रपति के प्रति और केवल राष्ट्रपति के प्रति उत्तरदायी है, न ही कांग्रेस के प्रति और न ही जनता के प्रति।”
मन्त्रिमण्डल और कांग्रेस
अमेरिकी मन्त्रिमण्डल के सदस्य नहीं होते हैं और न ही कांग्रेस के प्रति उत्तरदायी होते हैं। अतः कांग्रेस का मन्त्रिमण्डल पर वैसा नियन्त्रण नहीं है जैसा ब्रिटेन में संसद का मन्त्रिमण्डल पर है। मन्त्रिमण्डल और कांग्रेस के बीच सम्पर्क आवश्यक है। उसके बिना विधि निर्माण ही सम्भव नहीं है। परिणामस्वरूप जब किसी विभाग के सम्बन्ध मे विधेयक कांग्रेस के सम्मुख विचाराधीन रहता है, उस समय मन्त्रियों से आवश्यक आंकड़े और जानकारी मँगायी जाती हैं विधेयक जिस समय समिति अवस्था में होता है उस समय मन्त्री स्वयं समिति के सम्मुख प्रस्तुत होकर विधेयक के विषय में अपने विचार प्रकट करता है। परन्तु कांग्रेस मन्त्री को समिति के सम्मुख प्रस्तुत होने के लिए बाध्य नहीं कर सकती।
मन्त्रिमण्डल के कार्य और उसकी वास्तविक स्थिति
अमेरिका का मन्त्रिमण्डल राष्ट्रपति का छाया मन्त्रिमण्डल ही सही, उसके कुछ कार्य वास्तव में महत्वपूर्ण है, जैसे-
(1) प्रशासन सम्बन्धी कार्य
प्रत्येक मन्त्री अपने विभाग का अध्यक्ष हैं। मन्त्री सम्पूर्ण विभाग के शिखर पर रहने के कारण अत्यधिक प्रशासनिक शक्तियों का स्वामी है। पदाधिकारियों की नियुक्ति व पदोन्नति में उसका सबसे बड़ा हाथ होता हैं यद्यपि विभाग के सम्बन्ध में मुख्य नीति का निर्धारण राष्ट्रपति करता है, परन्तु मन्त्री भी अपने विभाग के सम्बन्ध में विशेषज्ञ होने के नाते, नीति के निर्धारण में भाग लेता है।
(2) परामर्श सम्बन्धी कार्य
मन्त्री, राष्ट्रपति को परामर्श देने का कार्य भी करते हैं। निसन्देह राष्ट्रपति उनके परामर्श के अनुसार कार्य करने के लिए बाध्य नहीं है, तथापि यदि मन्त्री योग्य कुशल और बुद्धिमान है तो राष्ट्रपति उसके परामर्श पर अवश्य विचार करेगा। इस सम्बन्ध में विदेश मन्त्री हेनरी किसिंजर का विशेष रूप से उल्लेख किया जा सकता है। वास्तव में राष्ट्रपति निक्सन की विदेश नीति का निर्माता हेनरी किसिंजर ही रहा है।
अमेरिका के संघीय न्याय व्यवस्था का वर्णन कीजिये।
(3) विधि निर्माण सम्बन्धी कार्य
अमेरिका में यद्यपि विधि निर्माण की शक्तियाँ कांग्रेस को दे दी गयी है। तथापि मन्त्रिमण्डल के सदस्य भी विधि निर्माण के कार्यों में भाग अवश्य लेते हैं। वास्तव में राष्ट्रपति की अनुमति अपने विभागों से सम्बन्धित विधेयकों का स्वीकार कर या न करना कांग्रेस का काम है। सामान्यतः अधिकांश विधेयक स्वीकृत हो जाते हैं। इसके अतिि कांग्रेस द्वारा पारित विभिन्न विधियों के सम्बन्ध में नियम और उपनियम बनाना भी मन्त्रिमण्ड के सदस्यों के हाथ में ही होता है।
निःसन्देह अमेरिका के मन्त्रिमण्डल के सदस्यों की शक्तियाँ बहुत कम हैं। ये त के निजी सेवक मात्र हैं। परन्तु सत्य यह है कि राष्ट्रपति बहुत अधिक व्यस्त रहता है। उसे T अधिक राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं से जूझना पड़ता है कि वह शासन की ओर पूरा दे ही नहीं सकता। साथ ही विभिन्न विभागों की नीति निर्धारण के सम्बन्ध में भी उसे मन्त्रिमण्ड के सदस्यों के परामर्श का सम्मान करना पड़ता है। इस प्रकार अमेरिकी मन्त्रिमण्डल के शक्तिहीन होते हुए भी उसकी अपनी उपयोगिता है।