भारत में सामूहिक उत्तरदायित्व – मन्त्रिमण्डलीय व्यवस्था का सबसे महत्वपूर्ण सिद्धान्त मन्त्रिमण्डल का संसद के प्रति सामूहिक उत्तरदायित्व है मन्त्रिगण व्यक्तिगत रूप से तो संसद के प्रति उत्तरदायी होते ही है, इसके अतिरिक्त सामूहिक रूप से प्रशासनिक नीति और समस्त प्रशासनिक कार्यों के लिए संसद के प्रति उत्तरदायी होते हैं। सामूहिक उत्तरदायित्व के इस सिद्धान्त के अनुसार सम्पूर्ण मन्त्रिमण्डल एक |
इकाई के रूप में कार्य करता है और सभी मन्त्री एक-दूसरे के निर्णय तथा कार्य के लिए उत्तरदायी है। यदि लोकसभा किसी एक मन्त्री के विरुद्ध अविश्वास का प्रस्ताव पारित करे अथवा उस विभाग से सम्बन्धित विधेयक को रद्द कर दे तो समस्त मन्त्रीमण्डल को त्यागपत्र देना होता है।
लॉर्ड मार्ले की भाषा में, “मन्त्रिमण्डल के सदस्य एक ही साथ तैरते और एक ही साथ डूबते हैं।” यही सामूहिक उत्तरदायित्व का सार है। सामूहिक उत्तरदायित्व मन्त्रिमण्डल को एक संगठित शक्ति का रूप प्रदान करता है और इस आधार पर राष्ट्रपति तथा संसद के प्रमुख मन्त्रिमण्डल की स्थिति बहुत अधिक सुदृढ़ हो जाती है।