ई-लर्निंग की सीमाएं स्पष्ट कीजिए।

ई-लर्निंग की सीमाएँ (Limitations of E-Learning): उपयोगी होने के फलस्वरूप भी ई-लर्निंग की कुछ निम्नलिखित कमियाँ हैं-

  1. ई-लर्निंग में शिक्षकों एवं विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है कि वे कम्प्यूटर इंटरनेट तथा वेब टेक्नॉलोजी के प्रयोग में प्रशिक्षित हो। क्योंकि कुशलता । के अभाव में वांछित लक्ष्य की प्राप्ति सम्भव नहीं हैं।
  2. शिक्षकों के लिए ई लर्निंग सम्बन्धी प्रशिक्षण कार्यक्रमों का प्रावधान नहीं है। परिणामस्वरूप शिक्षक वर्ग ई-लर्निंग सुविधा का लाभ उठाने में उत्साह और रुचि का प्रदर्शन नहीं करते हैं। इन परिस्थितियों में विद्यालय में ई-लर्निंग की व्यवस्था कर पाना एक कठिन कार्य है।
  3. ई-लर्निंग के लिए आवश्यक है कि शिक्षक एवं छात्र सभी के पास कम्प्यूटर, लैपटाप, मल्टीमीडिया, इंटरनेट वेब इत्यादि की सुविधा उपलब्ध हो जिससे वे विद्यालय, घर एवं अन्य अधिगम स्थानों पर उसका लाभ उठा सकें।
  4. हमारे देश में अधिकांशतः विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में इस प्रकार के साधनों की उचित व्यवस्था नहीं है। इसलिए निकट भविष्य में सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी से युक्त साधनों की उपलब्धि की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
  5. ई-लर्निंग अधिगम व्यवस्था में परम्परागत कक्षा शिक्षण की भाँति सामाजिक सम्बन्धों को सम्पर्क का अवसर प्राप्त नहीं होता। उन्हें न तो साथी विद्यार्थियों के साथ वार्तालाप का अवसर मिलता है न शिक्षकों के साथ। इसके साथ ही जिस प्रकार का मार्गदर्शन, पृष्ठपोषण, निदानात्मक कक्षा व्यवस्था में सम्भव होता है वैसे ई लर्निंग में नहीं हो सकता है।

शिक्षा के स्वरूप का वर्णन कीजिए।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top