हर्ष की विजय

हर्षवर्धन सन् 606 ई. में सिंहासन पर बैठा तत्पश्चात् उसने अपना विजय अभियान प्रारम्भ किया। उसने लगातार 6 वर्षों तक सैन्य अभियान किया जिसमें उसे पर्याप्त सफलता मिली। ह्वेनसांग के अनुसार हर्ष ने अपने पड़ोसी राज्यों को अधीन करने के पश्चात् कई राज्यों पर आक्रमण किया तथा अन्त में सौराष्ट्र, कान्यकुब्ज, गौड़, मिथिला और उड़ीसा सहित पाँचों प्रदेशों पर अधिकार कर लिया। कुछ लेखों के अनुसार सम्पूर्ण उत्तरी भाग पर उसका अधिकार था। डॉ आरसी मजूमदार के अनुसार शुरूआत में हर्ष के राज्य में पुराने राज्य केवल कन्नौज और गानेश्वर ही सम्मिलित थे। सम्भवतः उसमें पश्चिम की ओर की गयी वृद्धि में पूर्वी पंजाब और उत्तर-प्रदेश सम्मिलित माने जाते हैं।

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उसने अपने विजय अभियान में उड़ीसा तथा कांगोद को शामिल किया साथ ही साथ राज्यकाल के अन्त में मगध पर भी अपना अधिकार जमा लिया मजूमदार के अनुसार हर्ष की सेना ने उत्तर में बर्फीले पर्वतों से लेकर दक्षिण में नर्मदा नदी तक और पूर्व में गंजाम से लेकर पश्चिम में वल्लभी तक के लगभग सम्पूर्ण उत्तर भारत को पदाक्रान्त किया था।

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