इंग्लैण्ड में हुए गृह-युद्ध – इस गृह-युद्ध को ‘प्यूरिटन विद्रोह’ (Puritan Revolt) भी कहा जाता है। इसको दो भागों में विभक्त किया जा सकता है। 1642 ई. से 1646 ई. एवं 1646 ई. 1646 ई. से 1649 ई. के प्रारम्भ तक। मूलरूप से यह गृह-युद्ध एक राजनीतिक और धार्मिक संघर्ष था। इसका मुख्य प्रश्न यह था कि सम्प्रभुता (Sovereignty) किसमें निवास करती है, जनता अथवा शासक में और इनमें कौन सर्वेशक्तिशाली तथा सर्वोच्च है।
इसके अतिरिक्त इस गृह-युद्ध के आरम्भ होने के कुछ अन्य कारण इस प्रकार थे-सामाजिक विक्षोम, शासक के विशेषाधिकारों के प्रश्न पर राजा एवं संसद के मध्य तनाव, चार्ल्स प्रथम की हानिप्रद आर्थिक नीति, शासक की धर्म के प्रति गलत नीति, राजा चार्ल्स प्रथम का चरित्र एवं आयरलैण्ड में प्रारम्भ होने वाला विद्रोह । इस गृह-युद्ध की विशेषता यह थी कि यह किसी वर्ग विशेष का नहीं अपितु विचारों का संघर्ष था जिसमें चार्ल्स को पराजय स्वीकार करनी पड़ी। 1648 ई. के अन्तिम महीनों में संसद ने चार्ल्स प्रथम को देश-द्रोही ठहराते हुए फाँसी का दण्ड सुनाया और जनवरी, 1649 ई. के अन्तिम सप्ताह में उसे फाँसी भी दे दी गई।
सल्तनत काल के सैन्य संगठन की विस्तृत विवेचना कीजिए।
इस गृह-युद्ध से इंग्लैण्ड के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण परिणाम निकले। संसद की विजय एवं चार्ल्स के मृत्यु-दण्ड से यह स्पष्ट हो गया कि प्रजा को राजा की निरंकुशता एवं स्वेच्छाचारिता का विरोध करने का पूरा-पूरा अधिकार है।