कनिष्क के राज्यारोहण की तिथि भारतीय इतिहास की प्रमुख समस्याओं में से एक है। इसके तिथि सम्बन्धी समस्या को सुलझाने हेतु विभिन्न विद्वानों ने भिन्न-भिन्न मत दिया है।
फ्लीट ने कहा कि कनिष्क केडफिसेस शासको (कुजुल एवं विम) के पहले राजा हुआ था तथा उसी ने विक्रम संवत् (58 ई.पू.) चलाया। इस मत का समर्थन अन्य कई विद्वानों ने भी किया। है। इनमें प्रमुख कनियम, डाउसन और फ्रैंक है। बाद में कैनेडी ने भी इस मत को मान्यता प्रदान की थी। कैनेडी का यह भी कहना था कि 58 ई. पू. में ही चौथी बौद्ध संगीति हुई थी तथा इसी अवसर पर कनिष्क ने विक्रम संवत् का प्रारम्भ किया। मार्शल, स्मिथ आदि विद्वानों ने कनिष्क की तिथि 125 ई. अथवा 144 ई. माना है। मजूमदार एवं भण्डारकर महोदय ने क्रमशः 248 एवं 278 ई. कनिष्क की तिथि बतायी है।
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इसके विपरीत थामस, आर.डी. बनर्जी, रेण्पसन आदि विद्वानों ने कनिष्क की तिथि 78 ई. माना है। तक्षशिला के चिरस्तूप तथा सिक्कों पर 136 की तिथि उत्कीर्ण है जो सम्भवतः विक्रम संवत की है। यह 78 या 79 ई. से मिलती है। इसी अभिलेख में कुषाण राजाओं के लिए देवपुर की उपाधि भी मिलती है जिसे कनिष्क एवं उसके उत्तराधिकारी भी धारण करते थे। एलन महोदय का तर्क है कि “कनिष्क के सोने के सिक्के रोमन सम्राटों के सिक्कों से प्रभावित है। अतः कनिष्क म की तिथि रोमन सम्राट टाइटस (78-81 ई.) और ट्रोजन (98-117 ई.) के पहले नहीं हो सकती।” प्रो. घोष तथा डॉ. सरकार भी इसी तिथि को स्वीकार करते हैं। अतः यह माना जा सकता है कि कनिष्क 78 ई. में गद्दी पर बैठा और 101 या 10° ई. तक शासक बना रहा। प्रो. चट्टोपाध्याय भी इसी मत के समर्थक है।