खिलजी शासन काल में मंगोल समस्या– खिलजी वंश के शासकों के लिए मंगोलों का आक्रमण एक प्रमुख समस्या थी। जलालउद्दीन खिलजी के शासन काल में मंगोलों का केवल एक आक्रमण 1292 ई. में हुआ। हलाकू के एक नाती के नेतृत्व में एक मंगोल सेना सल्तनत के सीमान्त प्रदेश में प्रविष्ट हो गई और सुनम तक पहुंच गई। सुल्तान ने स्वयं शत्रुओं का सामना किया और उन्हें परास्त करके पीछे हटा दिया जलालउद्दीन ने अपनी उदारता के कारण चंगेज खां के एक वंशज उलूग तथा कुछ अन्य मंगोलों को दिल्ली में बस जाने की आज्ञा दे दी। उन्होंने इस्लाम स्वीकार कर लिया। सुल्तान ने अपनी एक पुत्री का विवाह भी उलूग के साथ कर दिया ये मंगोल नव मुस्लिम के नाम प्रसिद्ध हुए।
अलाउद्दीन की सीमान्त नीति का मूल्यांकन कीजिए।
अलाउद्दीन के शासन काल में मंगोलों ने दिल्ली को जीतने के बार-बार प्रयत्न किये परन्तु प्रत्येक बार उन्हें परास्त हो कर वापस लौटना पड़ा। उन्होंने दिल्ली पर अधिकार करने के प्रयन्त में ही अपनी सम्पूर्ण शक्ति लगा दी परन्तु अलाउद्दीन ने बलबन की सीमा रक्षा की नीति का अनुसरण किया। अतः वह राजधानी को बचाने में सफल हुआ। उसने सीमा पर स्थित किलों की मरम्मत कराई और उनकी रक्षा के लिए नये सैनिक नियुक्त किये। इस नीति का परिणाम यह हुआ कि मंगोलों से खिलजी साम्राज्य को कोई क्षति नहीं पहुँची।