मार्टिन लूथर पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

जर्मनी में धर्म सुधार आन्दोलन के जनक प्रोटेस्टेन्ट धर्म के जन्मदाता मार्टिन लूथर का जन्म 10 नवम्बर, 1483 ई. को आइबेन नामक गाँव में एक साधारण किसान के यहाँ हुआ था, इनके पिता का नाम हान्स तथा माता का नाम मागिरथी जंगलर था। लूथर ने इरफर्ट विश्वविद्यालय से शिक्षा ग्रहण करने के बाद कानून का अध्ययन किया, किन्तु वकील बनने के स्थान पर 1508 ई. में ब्रिटनबर्ग विश्वविद्यालय में धर्म तथा दर्शन शास्त्र का शिक्षक बन गया। इस पद पर कार्य करते हुए उसने धर्मशास्त्र का गहन अध्ययन किया। मार्टिन लूथर कैथोलिक धर्म का अनुयायी था और पोप के प्रति उसे अपार श्रद्धा थी।

सन् 1511 ई. में उसे रोम जाने का अवसर प्राप्त हुआ, जहाँ पोप के विलासपूर्ण जीवन और रोमन चर्च में व्याप्त भ्रष्टाचार एवं आडम्बर को देखकर वह दुखी हुआ। 1517 ई. में पोप के प्रतिनिधि द्वारा बिटनबर्ग में क्षमा पात्रों की बिक्री देखकर उसने पोप का खुलकर विरोध किया। उसने कहा कि यह कार्य धर्म विरोधी है। अपनी बात को स्पष्ट करने के लिए लूथर ने 95 बिन्दुओं को ब्रिटेनबर्ग के चर्च के द्वार पर लिखकर टांग दिया।

सविनय अवज्ञा आंदोलन पर एक निबन्ध लिखिये।

उसने जनता को समझाया कि पाप प्रायश्चित करने से दूर होता है, न कि क्षमा पत्र को खरीदने से लूथर के बढ़ते हुए प्रभाव से पोप लिओं दशम ने उसे धर्म विरोधी और नास्तिक करार कर दिया और बरवाद के विरुद्ध कठोर आदेश जारी किए। लूथर इससे घबराया नहीं उसने अब और अधिक खुलकर पोप का विरोध कराना प्रारम्भ कर दिया। लूथर का सक्सनी के राजा ने खुलकर समर्थन किया और शीघ्र ही लूथर का प्रोटेस्टेन्ट धर्म सम्पूर्ण यूरोप में फैल गया।

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