निर्देशन कार्यक्रम में अध्यापक की भूमिका का वर्णन कीजिए।

निर्देशन कार्यक्रम

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (1980) के अन्तर्गत शिक्षकों को एक सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण मानवीय साधन के रूप में स्वीकार किया गया है-“किसी समाज में अध्यापकों के स्तर से उसकी सांस्कृतिक, सामाजिक दृष्टि का पता लगता है। सरकार और समाज को ऐसी परितियाँ बनानी चाहिए जिनसे अध्यापकों को निगम और सर्जन की ओर बढाने की प्रेरणा मिले। अध्यापकों को इस बात की आजादी होनी चाहिए कि वे नये प्रयोग कर सकें और सम्प्रेषण की उपयुक्त विधियाँ अपने समुदाय की समस्याओं और क्षमताओं के अनुरूप नये उपाय निकाल सकें।”

शिक्षकों के उपरोक्त महत्व को दृष्टि से रखते हुए निम्नलिखित उपायों को क्रियान्वित करने का निर्णय लिया गया है

  1. अध्यापकों की भर्ती करने की प्रणाली में इस प्रकार परिवर्तन किया जाएगा कि उनका चयन उनकी योग्यता के आधार पर व्यक्ति निरपेक्ष रूप से और उनके कार्य की अपेक्षाओं के अनुरूप हो सके।
  2. अध्यापकों की शिक्षा एक सतत् प्रक्रिया है और इसके सेवा पूर्व और सेवाकालीनअंशों को अलग नहीं किया जा सकता है। पहले कदम के रूप में अध्यापकों की शिक्षा की प्रणाली को सम्पूर्ण बदला जायेगा।
  3. अध्यापकों की शिक्षा के नये कार्यक्रम में सतत् शिक्षा पर और इस शिक्षा नीति की नई दिशाओं के अनुसार आगे बढने की आवश्यकता पर बल होगा।
  4. जिला शिक्षा और प्रशिक्षण संस्था स्थापित किए जायेंगे, जिनमें प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षक की ओर अनौपचारिक शिक्षा व प्रौढ शिक्षा कार्यक्रमों के प्रशिक्षण की व्यवस्था होगी।

आत्म- अनुसूची सेवा के महत्त्व पर प्रकाश डालिए।

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