पालवंश के संस्थापक गोपाल था। उसे बंगाल के लोगों ने अपना शासक चुना था जिससे कि वह बंगाल में फैली अराजकता का अन्त कर सके। गोपाल के प्रारम्भिक जीवन और उपलब्धियों के विषय में हमें बहुत कम जानकारी मिल पाती है। गोपाल के पितामह दयित विष्णु की पहचान एक विद्वान के रूप में और उसके पिता बप्पट की पहचान एक सुयोग्य सैनिक के रूप में की जाती है। खलिमपुर लेख के अनुसार सामान्य जनता ने गोपाल को मत्स्य न्याय से छुटकारा पाने हेतु अपना शासक चुना था। गोपाल के सम्बन्ध में तिब्बती इतिहासकार तारानाथ भी इसी तरह का मत व्यक्त करते हैं।
गोपाल को मुंगेरताम्रपत्र में समुद्रपर्यन्त विजय करने वाला कहा गया है, इससे इस बात का पता चलता है कि गोपाल ने अपने समय में बंगाल के अधिकांश भाग पर अधिकार कर लिया था। गोपाल एक बौद्ध धर्मावलम्बी शासक था। तारानाथ के अनुसार गोपाल ने कुल 27 वर्षों तक राज्य किया। तिब्बती इतिहासकार उसके शासनकाल को मात्र छः वर्ष स्वीकार करते हैं। सामान्यतः विद्वानों द्वारा गोपाल का शासनकाल 750 से 770 ई. तक स्वीकार किया जाता है। सन् 770 ई. में गोपाल की मृत्यु हो गयी।पालवंश
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