परमार शासक सीयक द्वितीय के विषय में आप क्या जानते हैं?

परमार शासक सीयक द्वितीय

परमार वंश के प्रारम्भिक शासकों में सीयक द्वितीय का नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है। जिस समय सीयक द्वितीय के हाथों में सत्ता गयी उस समय तक परमार वंश राष्ट्रकूटों के अधीन था। सीयक द्वितीय का समकालीन राष्ट्रकूट शासक कृष्ण द्वितीय था। 968 ई. में राष्ट्रकूट नरेश कृष्ण तृतीय की मृत्यु हो गयी। राष्ट्रकूटों की राजनैतिक अस्थिरता को देखकर सीयक द्वितीय ने अवसर का लाभ उठाया और अपनी स्वतन्त्रता की घोषणा कर दी। कृष्ण तृतीय के बाद श्योहिकग सिंह ट्रकूट शासक हुआ। उसने 972 ई. में सीयक पर आक्रमण कर दिया लेकिन सीयक युद्ध में विजयी हुआ। उदयपुर एवं नागपुर अभिलेख से इस घटना की पूर्ण जानकारी प्राप्त होती है।

इस प्रकार से सीयक द्वितीय इस वंश को स्वतन्त्रता प्रदान करने वाला पहला शासक था। नवशाहशांक चरित के अनुसार सीयक द्वितीय ने हूण स्त्रियों को विधवा कर दिया। हूणों का राज्य मालवा राज्य के उत्तर-पश्चिम में स्थित था। खजुराहो अभिलेख के विवरण के अनुसार चन्देल नरेश यशोवर्मन ने मालवों को पराजित किया था। सम्भवतः यह मालवा नरेश सीयक द्वितीय ही रहा होगा।

वत्सराज के राज्यकाल की विशेषताएँ बताइए।

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