पर्यावरणीय शिक्षा की आवश्यकता एवं महत्व पर प्रकाश डालिये?

पर्यावरणीय शिक्षा की आवश्यकता

पर्यावरण शिक्षा की परिभाषाएं देते समय इस ओर ध्यान आकर्षित किया गया था कि पर्यावरण शिक्षा अंततः इस पृथ्वी पर रहने वाले प्राणी जगत को उस पार आने वाली संभावित विपदाओं से तथा उन्हें सुखमय जीवन देने का प्रयास करना है। साथ ही उन्हें इस योग्य भी बनाना है कि वे आगे और हो सकने वाली समस्याओं को पूर्व में ही जान सकें और उनका इस प्रकार हल खोजें जिससे समस्या भी दूर हो जाये और नियमित प्रक्रिया में कोई बाधा नहीं पढ़े। इस संदर्भ में पर्यावरण शिक्षा देने की आवश्यकता के लिए बहुत लम्बी सूची तैयार हो सकती है लेकिन संक्षिप्त में हम उसे निम्न प्रकार समेकित कर सकते हैं

  1. सौरमण्डल में केवल मात्र ‘पृथ्वी’ ही एक ऐसा गृह है जिस पर जीवन संभव है इसे नष्ट होने से बचाना है तथा उस पर बसने वाले प्राणी मात्र को सुखप्रद जीवन उपलब्ध कराना है।
  2. जनसंख्या में जिस गति से वृद्धि प्रतिवर्ष हो रही है। उससे सारा प्रकृति चक्र गड़बड़ा गया। है। प्रकृति को पुनः संतुलित करने तथा भावी पीढ़ियों को विरासत में सुंदर और व्यवस्थित भविष्य छोड़ने हेतु जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करना है।
  3. प्रकृति में संसाधनों के विशाल भण्डार भी अंतः सीमित ही हैं। उनका उचित और बुद्धिमत्तापूर्ण उपयोग हो यह लोगों को सिखाना है और प्रत्येक पृथ्वी निवासी मनुष्य के मानस में। बिठाना है।
  4. पेड़ और वनस्पति ही केवल कार्बन डाइआक्साइड (CO.) को प्राणवायु आक्सीजन(O.) में परिवर्तित कर सकते हैं। अतः वायुमण्डल में आक्सीजन की आवश्यक मात्रा बनाये रखने तथा CO, की वृद्धि से होने वाली पर्यावरणीय विकृतियों से अवगत कराने हेतु व्यक्तियों को ‘करने’ अथवा ‘न करने’ (do’s and do not’s) की बातें बतानी हैं।
  5. औद्योगिक क्रान्ति तथा वैज्ञानिक उपलब्धियों के फलस्वरूप सुख सुविधाओं के उपकरणों ने चहुँ ओर विविध प्रकार का प्रदूषण फैलाया है उसे नियंत्रित करने तथा बचाव के उपाय सुझाने हेतु कार्यक्रम चलाना है।

निर्बल वर्ग से आप क्या समझते हैं?

ये बिन्दु केवल दिशा निर्देशक हैं। पाठक अपने ज्ञान और विवेक से और बिन्दु जोड़ सकते। हैं। यह सभी पर्यावरण शिक्षा’ से ही संभव है, अतः पर्यावरण शिक्षा इस समय की एक महती आवश्यकता है।

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