प्राचीन भारतीय इतिहास लेखन में मुद्रा सम्बन्धी साक्ष्य – मुद्रा (सिक्के) देश के इतिहास के निर्माण में हमारी सहायता करते हैं। ये हमें शासन परिचय देकर यह बताते हैं कि भारत के किस भाग में किस प्रकार का प्रशासन रहा। सिक्कों के द्वारा हमें विभिन्न राजाओं के अस्तित्व का ज्ञान प्राप्त होता है।. इन सिक्कों का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इनसे प्राप्त जानकारी के आधार पर इतिहास के
प्राचीन मिस्र की धार्मिक स्थिति पर प्रकाश डालिए।
अन्य स्रोतो की प्रामाणिकता को ज्ञात कर सकते हैं। सिक्के कालक्रम का निर्धारण करने में भी हमारी सहायता करते हैं। सिक्कों की प्राप्ति से यह अनुमान लगाया जा सकता है कि किस राजा ने कब तक राज्य किया। इनके आधार पर राजा के गद्दी पर बैठने तथा उसकी मृत्यु की तिथि का अनुमान लगाया जा सकता है। सिक्कों के विभिन्न प्राप्ति स्थानों से उनसे सम्बन्धित राजा के राज्य विस्तार का पता चलता है। भारत में पर्याप्त मात्रा में प्राप्त होने वाले रोमन सिक्के से पता चलता है कि किस समय भारत और रोमन साम्राज्य के मध्य व्यापार पर्याप्त मात्रा में किया जाता था।
सिक्कों से भारतीयों की आर्थिक स्थिति तथा उनके समुद्र पार जाने का पता चलता है। इन सिक्कों पर सम्बन्धित राजाओं के चित्र भी अंकित हैं। कभी-कभी इन सिक्कों से राजाओं के सिर की पोशाक के बारे में धारणाएँ बनायी जा सकती है। इन सिक्कों से देश की आर्थिक स्थिति का अनुमान लगाया जा सकता है। यदि लोग सोने एवं चाँदी के सिक्के प्रयोग करते थे तो निश्चय ही उनकी आर्थिक दशा ठीक होगी। सिक्कों से हमें इतिहास संरचना के विषय में प्रामाणिक जानकारी प्राप्त होती है तथा इससे प्राप्त तथ्यों पर बिना संकोच के किया जा सकता है। अतः सिक्के इतिहास संरचना की महत्वपूर्ण कड़ी हैं।