प्राच्य पाश्चात्य विवाद के मुख्य कारण क्या थे? इसका अन्त किस प्रकार हुआ।

प्राच्य-पाश्चात्य विवाद- मुख्य रूप से इस विवाद का जन्म ईस्ट इण्डिया कम्पनी के 1813 के आज्ञा पत्र से हुआ। प्रथम विचार तो यह है कि इस आज्ञा पत्र में यह तो निर्देश दिया गया था कि ब्रिटिश कम्पनी शासित क्षेत्रों में शिक्षा की व्यवस्था करना कम्पनी का उत्तरदायित्व होगा, परन्तु यह स्पष्ट नहीं किया गया था कि शिक्षा का स्वरूप क्या होगा? दूसरी बात यह है कि उसकी धारा 43 में जो एक लाख रुपये की धनराशि प्रतिवर्ष साहित्य के रखरखाव पाश्चात्य ज्ञान-विज्ञान का ज्ञान कराने के लिए निश्चित की गयी थी। कम्पनी के लोगों ने इन दोनों शब्दों का अर्थ अलग-अलग लिया, जिसके कारण दो वर्ग बन गये। एक प्राच्यवादी और दूसरा पाश्चात्यवादी

प्राच्यवादी वर्ग-

इस वर्ग में अधिकतर कम्पनी के वरिष्ठ एवं अनुभवी अधिकारी थे। ये 1813 के आज्ञा पत्र के साहित्य शब्द से अर्थ भारतीय साहित्यों से लेते थे और भारतीय | विद्वानों से अर्थ भारतीय साहित्यों के विद्वानों में लेते थे। उनका विचार यह था कि

  1. भारत में भारतीय भाषाओं (संस्कृत हिन्दी और अरबी आदि) के माध्यम से शिक्षा दी जाय।
  2. भारत में भारतीय साहित्यों एवं ज्ञान विज्ञान की शिक्षा दी जाय।
  3. कुछ उदारवादी भारतीयों को पाश्चात्य ज्ञान विज्ञान का सामान्य ज्ञान कराने के भी पक्ष में थे।

पाश्चात्यवादी वर्ग-

इस वर्ग में अधिकतर कम्पनी के युवा अधिकारी थे। ये 1813 के आज्ञा पत्र के साहित्य शब्द का अर्थ पाश्चात्य साहित्य से लेते थे और भारतीय विद्वानों का अर्थ पाश्चात्य साहित्य के भारतीय विद्वानों से लेते थे। इसका विचार था कि

राष्ट्रीय प्रौढ़ शिक्षा संस्थान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

  1. भारतीयों का शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी हो ।
  2. भारतीयों को पाश्चात्य भाषा और साहित्यों का ज्ञान कराया जाय।
  3. कुछ कट्टरवादी ईसाई धर्म की शिक्षा अनिवार्य करने के पक्ष में थे।

कुछ अन्य विद्वानों के भी मत हैं जो ब्रिटेन और भारत के पक्ष के बारे में सोच रहे थे। जो निम्न हैं

  1. राजा राममोहन राय का तर्क था कि इस शिक्षा से भारतीय आधुनिकतम् ज्ञान-विज्ञान से परिचित होंगे और अपनी उन्नति करेंगे और ब्रिटेन के हित की दृष्टि से सोचने वालों के तर्क थे।
  2. भारत में पश्चिमी संस्कृति का विकास किया जा सकेगा।
  3. कम्पनी के व्यापार और शासन कार्य के लिए अंग्रेजी पढ़े लिखे कनिष्ठ कर्मचारी तैयार किये जा सकेंगे। जिससे शिक्षा का विकास होगा।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top