पृथ्वीराज रासो पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

पृथ्वीराज रासो

पृथ्वीराज रासो को हिन्दी का प्रथम महाकाव्य कहा जाता है। इस ग्रन्थ की रचना चाहमान शासक पृथ्वीराज तृतीय के दरबारी कवि चन्दवरदाई ने की थी। चन्दबरदाई ने यद्यपि इस ग्रन्थ में चात्मान शासकों विशेषकर पृथ्वीराज तृतीय का अतिश्योक्तिपूर्ण वर्णन किया है तथापि इस ग्रन्थ से तत्कालीन राजनैतिक, सामाजिक स्थिति पर विस्तृत प्रकाश पड़ता है। तुर्कों के साथ चाहमान के संघर्षों का विषद वर्णन पृथ्वीराज रासो में अभिव्यक्त है। तत्कालीन भारत के राजाओं की वंशावली पृथ्वीराजसो से प्राप्त होती है। इस ग्रन्थ में 61 अध्याय है। इसमें आबू पर्वत के यज्ञकुण्ड से चार क्षत्रिय कुलों की उत्पत्ति तथा चौहानों के अजमेर के राज्य स्थापना से लेकर मुहम्मद गोरी द्वारा पृथ्वीराज के पकड़े जाने तक की कथा का विस्तृत वर्णन है।

पृथ्वीराज रासो से ही ज्ञात होता है कि चालुक्य नरेश भीम द्वितीय और पृथ्वीराज तृतीय के पिता सोमेश्वर के मध्य संघर्ष में सोमेश्वर को मारकर चास्मानों के नागौर दुर्ग पर अधिकार करने में चालुक्य नरेश सफल हुआ था। इसी प्रकार से पृथ्वीराजरासो से ही संयोगिता प्रकरण पर भी प्रकाश पड़ता है, जिसके कारण पृथ्वीराज रासो की जयचन्द से शत्रुता पराकाष्ठा पर पहुँच गयी थी। पृथ्वीराजसो बारहवीं सदी के इतिहास जानने का एक महत्वपूर्ण भारतीय श्रोत है।

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