राज्य शैक्षिक अनुसंधान तथा प्रशिक्षण परिषद (SCERT) पर प्रकाश डालिए।

राज्य शैक्षिक अनुसंधान तथा प्रशिक्षण परिषद्

राज्य शैक्षिक अनुसंधान तथा प्रशिक्षण परिषद् तथा अध्यापक शिक्षा निर्देशालय 15 जनवरी, 1990 में अस्तित्व में आए। 1964 में यह राज्य शैक्षिक संस्थान के रूप में जाना जाता था।

एस.सी.ई.आर.टी. का प्रारूप

एस.सी.ई.आर.टी. के प्रमुख विभाग तथा इकाइयाँ निम्न हैं

  1. पाठ्यक्रम विकास का विभाग
  2. अध्यापक शिक्षा तथा सेवारत शिक्षा विभाग
  3. शिक्षा अनुसंधान विभाग
  4. विज्ञान व गणित शिक्षा विभाग
  5. शिक्षा तकनीकी विभाग
  6. मूल्यांकन तथा परीक्षा सुधार विभाग
  7. जनसंख्या शिक्षा विभाग
  8. प्रारम्भिक विद्यालय तथा प्रारम्भिक शिक्षा विभाग
  9. प्रौढ़ शिक्षा तथा कमजोर वर्ग शिक्षा विभाग
  10. विस्तृत सेवा तथा विद्यालय प्रबन्धन विभाग
  11. प्रकाश इकाई
  12. पुस्तकालय इकाई
  13. प्रशासकीय इकाई

एस.सी.ई.आर.टी. शिक्षा विभाग का शैक्षणिक अंग है, जो विद्यालय शिक्षा तथा अध्यापक शिक्षा की गुणवत्ता सुधार के लिए प्रयासरत रहता है।

एस.सी.ई.आर.टी. के कार्य

राज्य शैक्षिक अनुसंधान तथा प्रशिक्षण परिषद् एस.सी.ई.आर.टी. के प्रारूप के अनुसार प्रत्येक राज्य में कठिन की गई है। एस.सी.ई.आर.टी. में कार्यक्रम परामर्श समिति होती है। जिसका प्रमुख राज्य शिक्षामंत्री होता है।

एस.सी.ई.आर.टी. के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं

यह राज्य में अध्यापक प्रशिक्षण महाविद्यालयों, सेकेण्डरी प्रशिक्षण विद्यालय तथा प्रारम्भिक प्रशिक्षण विद्यालय की कार्यप्रणाली की देख-रेख करता है।

“यह राज्य में सेवापरक अध्यापक शिक्षा का प्रबन्ध करता है तथा प्री स्कूल, प्रारम्भिक, माध्यमिक तथा उच्चतर माध्यमिक शिक्षा के लिए अधिकारी नियुक्त करता है। यह अध्यापक प्रशिक्षण केन्द्रों में सेवापरक अध्यापक शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था करता है।

अध्यापकों तथा अध्यापक शिक्षकों के सर्वत्र विकास के लिए दूरस्थ शिक्षा तथा अन्य कार्यक्रमों का आयोजन करता है।

यह प्री स्कूल, प्रारम्भिक, माध्यमिक तथा उच्चतर माध्यमिक शिक्षा के लिए अध्यापक शिक्षण संस्थानों में पाठ्यपुस्तकों, निर्देशन सामग्री का निर्माण तथा पाठ्यक्रम का निर्माण करता है।

प्राथमिक शिक्षा की अवधारणा एवं उद्देश्यों का उल्लेख कीजिए।

यह UNICEF NCERT तथा एजेंसियों द्वारा चलित विभिन्न विशिष्ट शैक्षिक प्रोजेक्ट कार्यान्वित करता है। जिससे स्कूल शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हो सके।”

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