सहयोगी सामाजिक प्रक्रिया – सामाजिक अंतः क्रियाएं न तो पूर्णतया सहयोगी होती है और न ही पूर्णतया असहयोगी । बल्कि विभिन्न परिस्थितियों और विभिन्न प्रेरणाओं के अनुसार इनकी स्थिति में परिवर्तन होता रहता है। एक विशेष प्रकार की सामाजिक प्रक्रिया किसी समय अपने से विपरीत विशेषताओं वाली प्रक्रिया का रूप ले सकती है। उदाहरण के लिए, संघर्ष की प्रक्रिया सहयोग में बदल सकती है, प्रतिस्पर्द्धा का परिणाम समायोजन हो सकता है। इसका अर्थ है कि हम किसी भी सामाजिक प्रक्रिया को एक-दूसरे की अपेक्षा अधिक महत्वपूर्ण नहीं कह सकते बल्कि सभी प्रक्रियाएं किसी न किसी रूप में एक-दूसरे की पूरक हैं।
सामाजिक विभेदीकरण के स्वरूप की विवेचना कीजिए।
सहयोगी सामाजिक प्रक्रियाएं समाज के सदस्यों को एकता के सूत्र में बांधने में आधारभूत होती हैं, इसीलिए इन्हें ‘एकीकरण की प्रक्रियाएं’ (Integrative Processes) भी कहा जाता है। इन प्रक्रियाओं में सहयोग, समायोजन, सात्मीकरण और एकीकरण विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।