समूह का क्या अर्थ है ?

समूह का अर्थ

मुख्य रूप से सामूहिक निर्देशन की प्रक्रिया को स्पष्ट करने से पूर्व समूह का अर्थ तथा इसके मनोवैज्ञानिक आधार समझ लेना आवश्यक है। व्यक्तियों का इकट्ठा होना समूह की रचना करता है, भले ही उनमें परस्पर क्रिया-प्रतिक्रिया का अभाव हो। किन्तु सदस्यों में क्रिया-प्रतिक्रिया होने पर यह समूह केवल मात्र एक समुदाय है। यहाँ हमारा ऐसे समूहों से कोई सम्बन्ध नहीं। सामूहिक निर्देशन में ऐसे समूह की रचना होनी चाहिए जो कार्यशील हो। कार्यशील समूह के आम उद्देश्य होते हैं जो व्यक्ति की आवश्यकताओं की संतुष्टि का साधन बनते है और जिसमें सदस्य समूह के अन्य सदस्यों के साथ परस्पर सम्बन्ध स्थापित करते हैं, समूह के साथ आत्मसात स्थापित करते हैं और समूह के सदस्य होने पर उसके अनुकूल अपने परिवर्तन करते हैं। जेन वार्टस ने कार्यशील समूह को स्पष्ट करते हुए लिखा है कि ‘कार्यशील समूह की स्थापना के लिए आवश्यक शर्ते, सामान्य उद्देश्य, व्यक्तियों की आवश्यकताओं की संतुष्टि, क्रिया-प्रतिक्रिया और सदस्यों का परस्पर निर्भर होना है।’

समूह मनोविज्ञान के तत्व

मानव एक सामाजिक प्रणाली है। उसमें समूहों या समुदायों में सम्मिलित होने की प्रवृत्ति पाई जाती है। इस प्रवृत्ति का जन्म या तो सुरक्षात्मक मूल्यों का कारण या समूह निर्माण की मानव में जन्मजात मूल प्रवृत्ति के कारण होता है। यह तो स्पष्ट ही है कि आधुनिक मानव अनेक समूहों या समुदायों का सदस्य होता है जिनके साथ वह अपनी भावनाओं और विश्वासों को आत्मसात् कर देता है। इनमें से कुछ समूहों का वह सक्रिय सदस्य होता है तथा कुछ में वह नाममात्र का सदस्य होता है। समाजशास्त्रीय एवं मनोवैज्ञानिक अपने शोध परिणामों के आधार पर इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि मानव के व्यक्तिगत व्यवहार तथा सामूहिक व्यवहार में अत्यधिक अन्तर है। समूह में रहकर उसको समूह के समस्त सदस्यों के मनोभावों को ध्यान में रखकर व्यवहार करना पड़ता है ताकि किसी सदस्य को मानसिक आघात न लगे।

डाल्टन योजना की कार्य पद्धति।

इसके साथ ही यह तथ्य भी सत्य है कि सभी समूहों में एक व्यक्ति का व्यवहार समान नहीं होता है। वह भित्र-भित्र समूहों में भिन्न-भिन्न ढंगों से व्यवहार करता है। दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है चि समूह भेदक व्यवहार को बढ़ावा देते है। इस भेदक हार की स्वीकारोक्ति ने समूह मनोविज्ञान का गहन अध्ययन करने की प्रेरणा दी।

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