भारतीय संविधान की प्रस्तावना में भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न, लोकतन्त्रात्मक गणराज्य घोषित किया गया है, जिसका तात्पर्य इस प्रकार है
सम्पूर्ण प्रभुत्व
सम्पन्न का अर्थ है कि भारत अपने आन्तरिक एवं बाह्य क्षेत्रों में पूर्णरूप से स्वतन्त्र है किसी बाह्य शक्ति के अधीन नहीं है। यह अन्तर्राष्ट्रीय परिदृश्य में अपनी इच्छानुसार भूमिका का चयन कर सकता है। वह किसी अन्तर्राष्ट्रीय सन्धि या समझौते को मानने के लिए बाध्य नहीं है।
लोकतन्त्रात्मक का अर्थ है, राज्य की सर्वोच्च सत्ता जनता में निहित है। जनता को अपने प्रतिनिधि निर्वाचित करने का अधिकार होगा जो जनता के स्वामी न होकर सेवक होंगे।
गणराज्य का आशय यह है कि शासन का अध्यक्ष एक निर्वाचित व्यक्ति हो, भारत एक पूर्ण गणराज्य है क्योंकि भारतीय संघ का अध्यक्ष एक सम्राट न होकर जनता द्वारा निश्चित अवधि के लिए निर्वाचित राष्ट्रपति है।
इस प्रकार भारत एक सम्पूर्ण प्रभुत्व-सम्पन्न लोकतन्त्रात्मक गणराज्य है जो भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषता है।