सत्ता की अवधारणा – मैक्स वेबर के अनुसार समाज में सत्ता विशेष रूप से आर्थिक आधारों पर आधारित होती है। यद्यपि आर्थिक आधार सत्ता के निर्धारण में एक मात्र कारक नही कहा जा सकता। आर्थिक जीवन में यह सहज ही स्पष्ट है कि एक ओर मालिक वर्ग उत्पादन के साधनों और मजदूरों की सेवाओं पर अपने अधिकार को बढ़ाने का प्रयत्न करते हैं और दूसरी ओर मजदूर अपनी सेवाओं के बदले में प्राप्त मजदूरी पर अधिकाधिक अधिकार पाने की चेष्टा करते रहते हैं।
सत्ता उन्हीं के हाथों में रहती है। जिनके पास सम्पत्ति तथा उत्पादन के साधन केन्द्रित हों। इसी सत्ता के आधार पर मजदूर की स्वतन्त्रता खरीदी जाती है और मालिक को मजदूर के ऊपर एक विशेष प्रकार के अधिकार प्राप्त होते हैं। यद्यपि इस प्रकार की सत्ता अब दिन प्रतिदिन घटती जा रही है और बहुत कुछ घट भी गयी है। फिर भी आर्थिक क्षेत्र में निजी सम्पत्ति तथा उत्पादन के साधन किसी भी वर्ग के लिए सत्ता के निर्धारण में एक महत्त्वपूर्ण कारक आज भी है।
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संक्षेप में आर्थिक जीवन में एक स्थिर या संस्थागत अर्थव्यवस्था समाज के कुछ विशिष्ट वर्ग को अधिकार या सत्ता प्रदान करती है। यह वर्ग अपनी सत्ता के बल पर दूसरे वर्गों पर प्रभुत्त्व रखता है या उनसे ऊँची स्थिति पर विराजमान होता है। सत्ता के संस्थागत होने के क्षेत्र में वेबर का विश्लेषण बहुत कुछ इसी दिशा में है।