सिन्धु घाटी सभ्यता में किस देवी की पूजा की जाती थी?

सिन्धु घाटी सभ्यता के निवासी एकेश्वरवाद का ज्ञान रखते थे परन्तु वे उसकी पूजा परम पुरूष और परम नारी के दो रूपों में करते थे। सैन्धव सभ्यता के लोगों में मातृदेवी का स्थान सबसे उच्च था जो परम नारी का रूप थी। उनके अनुसार सम्पूर्ण सृष्टि का प्रारम्भ नारी शक्ति से हुआ अतः वे मातृदेवी को सारे लोक की पोषिका पालिका के रूप में मानते थे। सैन्धव लोग एक विशेष मुद्रा में बैठे शिव की उपासना परम पुरुष के रूप में करते थे। इसके अतिरिक्त वे निम्न चीजों की पूजा करते थे—

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  1. लिंग योनि की पूजा— सिन्धु निवासी ईश्वर की सृजनात्मक शक्ति की उपासना, आराधना और पूजा करते थे।
  2. वृक्ष पूजा— सिन्ध सभ्यता के लोग वृक्ष पीपल की पूजा करते थे कुछ वृक्षों को जीवनदाता एवं ज्ञानदाता माना जाता था।
  3. जल पूजा— मोहनजोदड़ो का स्नान कुण्ड जल देवता का मन्दिर था।
  4. पशु पूजा— सिन्धु घाटी के निवासी पशुओं पर दैवीय अंश मानते थे तथा उनकी पूजा करते थे। सैन्धव सभ्यता के लोग साकार की पूजा करते थे।
  5. शिलाखण्डों की पूजा— सैन्धव निवासी शिलाखण्डों की भी पूजा करते थे।

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