सुल्तान ग्यासुद्दीन तुगलक की आर्थिक नीति का मूल्यांकन कीजिए।

सुल्तान ग्यासुद्दीन तुगलक की आर्थिक नीति – सुल्तान गयासुद्दीन तुगलक ने सत्ता प्राप्ति के पश्चात् महत्वपूर्ण आर्थिक सुधार किये। उसने उन सभी लोगों से उस धन को सरकारी खजाने में जमा करने को कहा जिसको खुसरों खाँ ने मनमाने ढंग से बांटा था। प्रसिद्ध सूफी संत निजामुद्दीन औलिया से भी धन लौटाने को कहा गया। जिससे हजरत निजामुद्दीन से उसका मन मुटाव भी हुआ उसने भूमि व्यवस्था में भी परिवर्तन किया। मध्यवर्ती जमीदारों, विशेषकर मुकद्दम और खूतों को उनके पुराने अधिकार लौटा दिये गये । उनको लगान वसूली के लिए उचित जमीदाराना शुल्क दिया गया तथा उन्हें निश्चित लगान से अधिक वसूली तथा अत्याचार करने की मनाही कर दी गयी। किसानों को ध्यान में रखते हुए लगान में कटौती की गयी।

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सुल्तान ने उपज का 1 * 10 या 1 * 11 हिस्सा लगान की दर निश्चित की। सुल्तान ने सैनिकों को आर्थिक दृष्टि से संतुष्ट रखने के लिए अक्तदारों को निर्देश दिया किये किसी सैनिक के वेतन व भत्ते का दुरूपयोग न करें। सैनिकों के घोड़ों की सरकारी खर्चे पर देखभाल की गयी। अतः ग्यासुद्दीन की आर्थिक नीति से आम जनता, किसान और सैनिक सभी संतुष्ट थे।

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