जयचन्द और पृथ्वीराज तृतीय के सम्बन्धों पर प्रकाश डालिए।
जयचन्द और पृथ्वीराज तृतीय के सम्बन्ध- गहड़वाल शासक जयचन्द अपने पिता विजयचन्द की मृत्यु के बाद सन् 1170 ई. में […]
जयचन्द और पृथ्वीराज तृतीय के सम्बन्ध- गहड़वाल शासक जयचन्द अपने पिता विजयचन्द की मृत्यु के बाद सन् 1170 ई. में […]
विग्रहराज ‘बीसलदेव’ चतुर्थ अर्णोराज का पुत्र था। अर्णोराज के चार पुत्र थे जिसमें विग्रहराज चतुर्व सबसे शक्तिशाली था। उसने अपने
कल्चुरी शासक गांगेयदेव की उपलब्धियाँ कल्चुरी शासक गांगेयदेव (सन् 1019 ई-1041 ई.)- चन्देल साम्राज्य के दक्षिण में कल्चुरी वंश का
चौहान कौन थे? इस विषय में विद्वानों में मतभेद है। कुछ विद्वान जहाँ इन्हें विदेशी मानते हैं तो कुछ विद्वान
चहमान शासक अर्णोराज चहमान शासक अर्णोराज अजयराज का पुत्र था। उसने लगभग 20 वर्षो तक (1130 1150 ई.) तक शासन
भोज परमार (100 ई-1055 ई.)- भोज, परमार वंश का सबसे प्रसिद्ध और शक्तिशाली शासक था। वह अपने पिता सिन्धुराज की
परमार नरेश वाक्पति ‘मुंजराज’ (सन् 973 ई-995 ई.)- सन् 973 ई. में सीयक द्वितीय की मृत्यु के पश्चात् उसका पुत्र
विद्याधर चन्देल की उपलब्धिया विद्याधर चन्देल (सन् 1017-1029 ई.)- गण्ड की मृत्यु के पश्चात् उसका पुत्र विद्याधर उत्तराधिकारी हुआ। विद्याधर
चन्देल नरेश हर्ष की मृत्यु के बाद उसका पुत्र यशोवर्मन सन 930ई. में चन्देल सिंहासन पर विराजमान हुआ। वह चन्द्रवंश
महीपाल प्रथम ( 912-942 ई.) महीपाल प्रथम ने सन् 912 ई. में प्रतिहार वंश की सत्ता सम्भाली। महीपाल प्रथम एक