संस्कृतिकरण की व्याख्या कीजिए।
संस्कृतिकरण – इस अवधारणा का प्रतिपादन सर्वप्रथम भारतीय समाजशास्त्रीय प्रो० एम० एम० श्रीनिवास ने किया था। “संस्कृतिकरण वह प्रक्रिया है […]
संस्कृतिकरण – इस अवधारणा का प्रतिपादन सर्वप्रथम भारतीय समाजशास्त्रीय प्रो० एम० एम० श्रीनिवास ने किया था। “संस्कृतिकरण वह प्रक्रिया है […]
परम्परागत सत्ता – वेवर का विचार है कि आर्थिक जीवन में पायी जाने वाली संस्थागत अर्थव्यवस्था समाज की कुछ के
संघर्ष का सिद्धान्त – डेहरेनडॉर्फ की मान्यता है कि संघर्ष का बीज प्रत्येक सामाजिक संरचना में सन्निहित होता है एवं
प्रतिस्पर्द्धा की अवधारणा – प्रतिस्पर्द्धा एक विश्वव्यापी असहयोगी सामाजिक प्रक्रिया है जो विरोधी व्यवहार के द्वारा व्यक्तियों को एक दूसरे
औपचारिक व अनौपचारिक शिक्षा – पाठ्यक्रम के आधार पर शिक्षा के निम्न स्वरूप अथवा प्रकार है- (1) औपचारिक शिक्षा (Formal
शिक्षा का अर्थ, परिभाषा-शिक्षा का अर्थ संकुचित रूप में पुस्तकीय ज्ञान और पढ़ने-लिखने से लगाया जाता है परन्तु व्यापक रूप
अन्तः क्रियावाद (मीड) – जे.एच. मीड ने “माइन्डसेल्फ एण्ड सोसाइटी” में जो सिद्धान्त प्रस्तुत किया है उससे प्रतीकात्मक अन्तक्रियावादी सिद्धान्त
मूल्य परिप्रेक्ष्य – सामाजिक मूल्य सामाजिक घटनाओं को मापने का वह पैमाना है जो किसी घटना विशेष के प्रति सामाजिक
मिश्रित अर्थव्यवस्था वह प्रमुख प्रारूप है जिसका सम्बन्ध मुख्यतः विकासशील देशों से है। तृतीय विश्व में बहुत-से देश ऐसे है
प्रकार्यवादी परिप्रेक्ष्य (श्रीनिवास) – श्रीनिवास ने अपनी पुस्तक “रिवीजन एण्ड सोसाइटी एमंग कुर्ग आफ साउथ इण्डियन 1952” में संस्कृतिकरण की