वर्ग की अवधारणा की विवेचना कीजिए।

वर्ग की अवधारणा – सामाजिक वर्ग का तात्पर्य उन व्यक्तियों के समूह से होता है, जिनकी किसी समाज में समान स्थिति होती है। जब समाज में कुछ लोगों में एक सामान्य समानता होने के कारण उनकी स्थिति में समानता होती है तो इन समान स्थिति प्राप्त व्यक्तियों के समूह को वर्ग कहते हैं। उदाहरण के लिए हमारे देश में उच्च कोटि के राजनीतिज्ञों, अधिकारियों, पूँजीपतियों, कलाकारों इत्यादि के उच्च कोटि के कार्यों के परिणामस्वरूप समाज में उनकी ऊँची स्थिति समझी जाती है। इन सब समान स्थिति वाले लोगों से जो एक सामाजिक समूह बनता है उसे वर्ग कहते हैं। चूँकि इस वर्ग के सदस्यों की समाज में ऊँची स्थिति होती है, अतः इस वर्ग को ‘उच्च वर्ग’ (Upper Class) कहते हैं। इस प्रकार सामाजिक स्थिति के लोगों के एक समूह को सामाजिक वर्ग कहते हैं।

परामर्शदाता की विशेषताओं का वर्णन कीजिए ।

  1. मैकाइवर तथा पेज- “एक सामाजिक वर्ग एक समुदाय का कोई भी हिस्सा (या भाग) है जो सामाजिक स्थिति के आधार परअन्य लोगों से विभक्त किया जा सके।
  2. ऑगवर्न तथ निमकाफ– “एक सामाजिक वर्ग उन व्यक्तियों का योग है जिसका आवश्यक रूप से एक निश्चित समाज में समान सामाजिक पद है। “
  3. लेपियर- “एक सामाजिक वर्ग सुस्पष्ट सांस्कृतिक समूह है जिसे कि सम्पूर्ण जनसंख्या में एक विशेष स्थान अथवा पद प्रदान किया जाता है।”

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top